भिलाई नगर पालिका निगम के 3 कांग्रेस पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया है। बुधवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि, 10 अगस्त को प्रत्यक्ष और वॉट्सऐप ग्रुप में मैसेज कर जिलाध्यक्ष और भिलाई महापौर को इस्तीफा सौंप चुके हैं, लेकिन मेयर कह रहे हैं कि पार्षदों ने उन्हें इस्तीफा नहीं दिया है। वार्ड क्रमांक-3 के पार्षद हरिओम तिवारी, वार्ड-6 के पार्षद रविशंकर कुर्रे और वार्ड-9 की पार्षद रानू साहू ने निगम कमिश्नर से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने “जय वैशाली” लिखी टी-शर्ट पहन रखी थी। उन्होंने कहा कि, वो वैशाली नगर को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। भिलाई मेयर की उपेक्षा के दंश वैशाली नगर झेल रहा है।
इस्तीफा दिया, मेयर-जिलाध्यक्ष कह रहे नहीं मिला
इस्तीफे को लेकर तीनों पार्षदों ने कहा कि, वो 10 अगस्त को मेयर नीरज पाल और जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर से मिले थे। जिन्हें पार्टी से इस्तीफा पत्र सौंपा। उसके बाद वॉट्सऐप पर भी अलग-अलग सूचना डाली गई। इसके बाद भी अगर वो यह कहें कि उन्हें इस्तीफा नहीं मिला तो गलत है। इस अन्याय के खिलाफ विपक्ष की भूमिका निभाते हुए लड़ाई लड़ेंगे।
कमिश्नर से लगाई सही विकास करने की गुहार
पार्षद हरिओम तिवारी ने कहा कि, वो निगम कमिश्नर से मिलकर भिलाई टाउनशिप में विकास के नाम पर पैसे बर्बाद करने की जांच करने की मांग की। साथ ही साथ वैशाली नगर क्षेत्र में विकास करें। वहां लोग रोड, नाली और पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।
भिलाई मेयर पर लगाया उपेक्षा का आरोप
हरिओम तिवारी ने कहा कि, वो निर्दलीय पार्षद निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वार्ड के विकास के आश्वासन पर कांग्रेस में शामिल हुए। भिलाई महापौर ने उनके ही नहीं वैशाली नगर के पूरे पार्षदों के साथ धोखा किया है। उन्होंने बिना स्थायी एनओसी टाउनशिप में करोड़ों रुपए के निर्माण करवा दिए।
लेकिन वैशाली नगर में मांग के बाद भी विकास नहीं कराया। इतना ही नहीं जिस क्षेत्र के विकास के लिए कार्य होना है, वहां का एमआईसी भी टाउनशिप के पार्षदों को बना दिया। इसलिए वो इस दलगत राजनीति से बाहर हो गए हैं।
जिम्मेदारों ने इस्तीफे की बात को बताया गलत
वहीं, भिलाई निगम के मेयर नीरज पाल और जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर का कहना है कि, इस्तीफे वाली बात गलत है। नीरज पाल ने कहा कि, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। पार्षद उन्हें इस्तीफा क्यों देंगे। यदि उन्हें पार्टी से इस्तीफा देना है, तो वो जिलाध्यक्ष को उसे सौंपेंगे। यदि पार्षद पद से इस्तीफा देना है, तो कलेक्टर को देंगे। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
MIC मेंबर ने भी दिया पार्टी से इस्तीफा
इसके अलावा, भिलाई निगम की पार्षद और महिला एवं बाल विकास विभाग की एमआईसी मेंबर मीरा बंजारे ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर को सौंपा है। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा है कि पिछले ढाई सालों से वो मैं वार्ड में एमआईसी मेंबर के रूप में काम कर रही है।
इसके बाद भी वो विकास, सम्मान और समर्थन के लिए उपेक्षित महसूस कर रही हैं। वो अपनी पार्टी के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से लगातार विकास की मांग कर रही हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में विकास नहीं किया जा रहा है। विधानसभा चुनाव में पार्टी का काम करने तक से मना कर दिया गया। उनके ही वार्ड में दूसरे क्षेत्र के लोगों से चुनावी कार्य करवाकर उन्हें अपमानित किया।
शहर सरकार पर बहुमत का संकट
भिलाई नगर पालिक निगम में कुल 70 वार्ड हैं। चुनाव के समय भाजपा के 24 और कांग्रेस के पास 37 पार्षद थे। जब बहुमत की बारी आई, तो कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी नीजर पाल ने निर्दलीय को मिलाकर 46 पार्षदों का बहुमत दिया। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस के दो पार्षदों की सदस्यता समाप्त हो चुकी है और एक ने इस्तीफा दे दिया है।
इसके बाद कांग्रेस के पास 43 पार्षद ही बचे। पिछली एमआईसी की बैठक के बाद निर्दलीय में से पार्षद 4 और भाजपा के समर्थन में आ गए। वर्तमान में भाजपा (विपक्ष) के 29 और कांग्रेस (सत्ता पक्ष) के पास 39 पार्षद हैं। यदि कांग्रेस के 4 पार्षद और भाजपा में शामिल हुए, संख्या बढ़कर 33 और कांग्रेस के पास 35 पार्षद रह जाएंगे। ऐसे में शहर सरकर पर बहुमत का संकट खड़ा हो सकता है।