छत्तीसगढ़ के पेंड्रा का रेडियो हाउस भी देश की आजादी की लड़ाई का गवाह है। इस खंडहर हो रहे घर में कभी आजाद हिंद फौज और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कारनामों की आवाज गूंजती थी। इसका निर्माण 1942 में सतगढ़ रियासत और पेंड्रागढ़ के कांग्रेस अध्यक्ष नेताजी लालचंद जैन ने करवाया था। फिर 1947 में पहली बार तिरंगा फहराया गया।
दरअसल, नेताजी से जुड़ी खबरों के लिए जैन रेडियो सुनते थे। अंग्रेज सरकार नहीं चाहती थी कि लोग नेताजी बोस के कारनामे सुनें। इससे जनआंदोलन भड़कने का खतरा था, इसलिए रेडियो बजाने पर रोक लगा दी थी। इस कारण नेताजी ने बाड़े के पीछे एक रेडियो हाउस ही बना दिया।
बाड़े में पहलवान पहरा देते थे, इसलिए पुलिस भी घुसने से डरती थी। अभी जीपीएम जिले के पेंड्रा में पुराना बंगला नाम से जैन का बाड़ा आज भी मौजूद थे। जैन ने सतगढ़ से आजाद हिंद फौज को मदद पहुंचाई थी।
त्रिपुरी अधिवेशन में नेता जी की उपाधि
पेंड्रा के नेताजी लालचंद जैन बड़े व्यवसायी होने के साथ-साथ सतगढ़ के निर्वाचित अध्यक्ष रहे। तब उनकी सिफारिश पर कांग्रेस की सदस्यता मिलती थी। जबलपुर के त्रिपुरी अधिवेशन के बाद उन्हें नेताजी की उपाधि मिली। 1939 के अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस की जीत हुई। जैन उनके गुट में शामिल थे।
देश स्वतंत्र हुआ तो पहली बार तिरंगा फहराया
अंग्रेजों ने जन आंदोलन को लेकर सभा पर भी प्रतिबंध लगा रखा था। बिलासपुर के क्रांतिकारी क्रांति कुमार भारतीय साथियों के साथ अज्ञातवास पर रहे। वे और उनके साथी नेता जी लालचंद के बाड़े में छिपकर रहते थे।
आसपास रामायण आदि की सूचना मिलने पर वे नेता जी के साथ वहां पहुंच कर लोगों को रामायण के माध्यम से आजादी की अलख जगाते। सतगढ़ में नेता जी लालचंद जैन ने आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 की सुबह पहला तिरंगा फहराया। पेंड्रा के बजरंग चौक पर जय स्तंभ का उद्घाटन भी किया।