ऐसे वाद्य यंत्र जिनसे निकलती है जानवरों की आवाज:पहले शिकार के लिए भी होता था इस्तेमाल; छत्तीसगढ़ी कलाकार ने सहेजे 185 म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट…!!

Spread the love

भिलाई के जाने-माने लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय के पास 185 लोक वाद्य यंत्र है। जिससे वो शेर, चिड़िया और खरगोश समेत कई जानवरों की आवाज निकालते हैं। पहले आदिवासी वाद्य-यंत्रों से जानवरों की आवाज निकालकर शिकार किया करते थे। रिखी को छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्रों से प्रेम और लगाव काफी है। इसलिए उन्होंने बीएसपी कर्मचारी रहते हुए अपनी कुल कमाई का बड़ा हिस्सा वाद्य यंत्रों को सहेजने में ही लगाया। मरोदा सेक्टर में उनका अपना संग्रहालय है। जिसमें उन्होंने इन्हें सहेज कर रखा है। इनमें अधिकतर दुर्लभ वाद्य यंत्र की श्रेणी के हैं, जो आज आधुनिक समय में लुप्त होने की स्थिति में पहुंच चुके हैं।

घुमरा से शेर की आवाज

रिखी क्षत्रिय के मुताबिक वाद्य यंत्रों में विशेष प्रकार के वन्य प्राणियों के चमड़े का इस्तेमाल किया गया है। शेर की आवाज निकालने वाले वाद्य यंत्र का नाम घुमरा है।

उन्होंने कहा कि, जन्म के बाद जब मैंने होश संभाला तो खिलौनों की जगह वाद्य यंत्र देखे। इसलिए उसी से खेलना मैंने शुरू कर दिया। मैंने नौकरी किया, इस दौरान लोक मंडली का एक प्रोजेक्ट मिला।

केंद्र सरकार ने चार जिलों में आदिवासी समाज के रहन-सहन, वाद्य यंत्र और पहनावे को समझने के लिए प्रोजेक्ट दिया था। जिसके बाद साल 1989 से वाद्य यंत्रों खोजने का सिलसिला शुरू हुआ।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिल चुका है सम्मान

रिखी क्षत्रिय का कहना है कि, उनके पास खाने के लिए पैसे भले ना हो, लेकिन वो वाद्य यंत्रों को खरीदने के लिए पैसों की व्यवस्था कर लेते हैं। अपनी लगन के कारण ही वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर आयोजित समारोह में 9 बार अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।

उनके प्रदर्शन से खुश होकर दो बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें स्वर्ण पदक दिया था। वहीं, 4 बार राष्ट्रपति से भी सम्मानित हो चुके हैं।

महिलाएं बजाती हैं वाद्य यंत्र धनकुल

वाद्य यंत्र धनकुल का इस्तेमाल सिर्फ देव अनुष्ठान के समय ही होता है। इसे केवल महिलाएं बजाती हैं। इस वाद्य यंत्र को पुरुषों को बजाना वर्जित है। आदिवासी आदिम काल से शिव, पार्वती, राम, सीता, ब्रह्मा, सरस्वती, नदी, सूर्य, चंद्र और पर्वत समेत कई देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे हैं।

वे लोग हर साल शिव-पार्वती के विवाह की पूजा करते हैं। इसे हरतालिका व्रत कहा जाता है। वे जगार उत्सव भी मनाते हैं, जिसमें सभी आदिवासी महिलाएं एक-दूसरे को शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनाती हैं। उस समय धनकुल वाद्य यंत्र बजाती हैं।

6 चीजों से मिलकर बनता है धनकुल वाद्य यंत्र

रिखी ने बताया कि, धनकुल वाद्य यंत्र 7 अलग-अलग चीजों से मिलकर बना है। इसमें धनुष, सूपा, मटका, गिरी, माची और चीरनताड़ी की जरूरत होती है। इन सभी को मिलाकर ही यह वाद्य यंत्र बजाया जाता है। इसकी आवाज काफी मनोरम, मन को शांति और सुकून देने वाली होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *