‘विधेयक में संशोधन के नाम पर टारगेट किया जा रहा है। जब हम दूसरे समुदाय की किसी समिति में सदस्य नहीं हैं, तो वे हमारी समिति में क्यों शामिल किए जाएं? जिस तरह से वक्फ बोर्ड चल रहा है, उसी तरह से चलने देना चाहिए। बोर्ड की ताकत को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि अपनी संपत्ति की वो रक्षा कर सके।’
ये कहना है छत्तीसगढ़ के मुस्लिम समुदाय के लोगों का। दरअसल, केंद्र सरकार ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया। इसके बाद देश की सबसे बड़ी और ताकतवर मुस्लिम संस्था वक्फ बोर्ड चर्चा में है। प्रदेश में मुस्लिम इस बिल का विरोध कर रहे हैं।
बोर्ड का दावा है कि छत्तीसगढ़ में 5 हजार करोड़ की संपत्ति उनके पास है। उनका दावा है कि रायपुर के पंडरी बस स्टैंड के सामने जमीन उनकी है। हालांकि ज्यादातर जमीनों पर कब्जा है। इसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पहले 3 केस से समझिए बोर्ड का संपत्ति विवाद
- केस-1 : दुर्ग की 13 एकड़ जमीन पर दावा
राज्य वक्फ बोर्ड ने 2022 में एक आवेदन दिया था। उसमें कहा गया कि 1993 में संशोधन के बाद एक अधिनियम लाया गया। उसमें दावा किया गया कि दुर्ग शहर की आधे से अधिक जमीन उनकी है। इसके बाद तहसीलदार दुर्ग ने दावा आपत्ति मंगाई। इस पर स्थानीय लोगों की नाराजगी और बीजेपी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद मामला आज तक लंबित है।
- केस-2 : बिलासपुर में निगम की जमीन अपनी बताई
बिलासपुर जिले के बृहस्पति बाजार स्थित निगम की जमीन पर जनवरी 2017 में वक्फ बोर्ड ने अपना दवा किया। यह दावा वक्फ बोर्ड ने तब किया था, जब निगम अपनी जमीन में वर्किंग वुमंस के लिए हॉस्टल का निर्माण कर रहा था। इस पर जांच कराई गई तो जमीन निगम की ही निकली। सरगांव में भी जमीन पर कब्जा करने का दावा किया था।
- केस-3 : रायपुर के पंडरी में जमीन पर दावा
वक्फ बोर्ड ने रायपुर के पंडरी इलाके में अपनी संपत्ति पर कब्जा होने का दावा किया है। वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों के अनुसार, पंडरी बस स्टैंड के सामने जमीन पर ट्रैवल संचालकों और दूसरे धर्म के लोगों का कब्जा है। दस्तावेजों की कमी के चलते इस संपत्ति पर ऑफिशियल दावा बोर्ड ने अब तक नहीं किया है।