एक अच्छी पहल से मलबे से बन रहा हाई क्वालिटी कर्व स्टोन, पेवर ब्लॉक; हुआ आईआईटी में सप्लाई…!

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शहर में पुराने निर्माण का मलबा निगम के कमाई का जरिया बन गया है। क्योंकि निगम ने ढाई करोड़ की लागत से सीएंडडी वेस्ट (कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन) प्लांट लगाया है। प्लांट में शहर से निकलने वाले मलबे से कर्व स्टोन और पेवर ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। एनआईटी ने लैब टेस्ट के बाद इसकी क्वालिटी को ठीक पाया है। फिलहाल कर्व स्टोन और पेवर ब्लॉक को आईआईटी भिलाई खरीद रहा है। नगर निगम के निर्माण कार्यों में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। निगम ने इसका जिम्मा प्राइवेट कंपनी को सौंपा है। इससे निगम को हर वर्ष लगभग 7.50 लाख रुपए की आमदनी होगी।

जोन-8 में इसका संचालन हो रहा है। सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट रायपुर के जरवाय में लगभग 2 एकड़ में बनाया गया है। पंद्रहवें वित्त आयोग की राशि से बने इस प्लांट की प्रोसेसिंग क्षमता 65 टन प्रति शिफ्ट है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा संयंत्र है। वर्तमान में प्लांट में रोज 30 से 40 टन मलबा आ रहा है। बता दें कि मलबा डिस्पोजल की सुविधा पाने के लिए टोल फ्री नंबर 1100 और कॉल सेंटर नंबर 8815898845 पर संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए आम पब्लिक को छोटी गाड़ी के लिए 650 और बड़ी गाड़ी के लिए 1100 रुपए देना पड़ेगा। मलबा सड़क या खाली जमीन में फेंकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

बनाए जा रहे ड्रेन कवर, सिटिंग बेंच, टाइल्स भी

सीएंडडी वेस्ट प्लांट में मलबे को अलग-अलग तरह से प्रोसेस करने के बाद दूसरे काम में उपयोग के लायक बनाया जा रहा है। प्लांट में रोजाना मलबे को प्रोसेस किया जा रहा है। निगम के अधिकारियों की माने तो लोहे को अलग करके रिसाइकिल किया जाता है, जबकि गिट्टी, रेत, ईंट आदि को अलग करने के बाद उससे पेवर ब्लाक, ड्रेन कवर, सिटिंग बेंच, क्ले ब्रिक्स, टाइल्स, सीमेंटेड विंडो, पोल आदि बनाए जा रहे हैं।

160 महिलाओं को प्रशिक्षण, 10 को नौकरी

दो एकड़ क्षेत्र में स्थापित इस प्लांट के लिए स्व-सहायता समूह की 160 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें से 10 को पेवर ब्लाक और ईंट बनाने वाली फैक्ट्री में नौकरी भी मिल गई है।

जानिए सीएंडडी वेस्ट प्लांट से क्या हो रहा फायदा

विशेषज्ञों की माने तो सीएंडडी वेस्ट प्लांट लगने से धूल के महीन कणों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण और धूल जनित रोगों में कमी आएगी। इसके साथ ही प्रसंस्करण से प्राप्त गिट्टी तथा रेत के उपयोग के कारण नवीन गिट्टी तथा रेत खनन से होने पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को काम किया जा सकेगा। इसके साथ ही खनन स्थल से उपयोग स्थल तक इनके परिवहन में होने वाले प्रदूषण तथा व्यय दोनों में कमी आएगी। इस प्रकार मलबे के उपयोग के करण शहर के परिवेश तथा वातावरण में सुधार होगा।

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