दुर्ग-बिलासपुर रुट: ट्रायल के लिए लगाए तीन हाई मास्ट कैमरे

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राजधानी में हर माह 90 से ज्यादा चोरी, लूट और उठाईगिरी की घटनाएं हो रही हैं। चोर खासतौर पर सूने मकानों को टारगेट कर रहे हैं। चोरी और लूट की ज्यादातर वारदातों में आरोपियों का क्लू सीसीटीवी कैमरे से ही मिल रहा है। इसलिए अब शहर के अलावा हाईवे पर भी हाई मास्ट वाले कैमरे लगाए जाएंगे। खासतौर पर दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर और जगदलपुर रुट पर कैमरे लगाने के लिए सर्वे कर लिया गया है। प्रयोग के तौर पर दुर्ग-बिलासपुर मार्ग पर तीन कैमरे लगाए जा चुके हैं। उनसे किस तरह के फुटेज मिल रहे हैं, कहां लगाने पर फुटेज साफ मिलेंगे? ये रिजल्ट देखने के बाद बाकी जगहों पर 100 से ज्यादा कैमरे लगाए जाएंगे।

हाईवे पर नई तकनीक वाले हाई मास्ट कैमरे लगाए जाएंगे। इन कैमरों की क्वालिटी शहर के चौक-चौराहों पर लगे कैमरों से कई गुना बेहतर है। पुराने कैमरों में फुटेज ठीक से कैप्चर नहीं हो रहे हैं। खासतौर पर रात के समय गुजरने वाले तेज रफ्तार वालों का फुटेज इतना धुंधला मिल रहा है कि नंबर प्लेट तो दूर ये भी पता नहीं चल रहा है कि कार है तो कौन सी कंपनी की। इतना ही नहीं ये कैमरे बेहद सीमित दायरे को ही कवर करते हैं। नए कैमरों का दायरा भी बड़ा है। इससे दूर से ही कैमरे में गाड़ी और उसकी नंबर प्लेट का फुटेज साफ नजर आएगा।

नए कैमरों की मॉनीटरिंग थानों से

निगम ने ट्रायल के तौर पर व्यास तालाब, उरला और कर्मा माता चौक पर नए हाई मास्ट कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों की मॉनिटरिंग उरला और खमतराई थानों से की जा रही है। अभी शहर में लगे कैमरे आईटीएमएस के कंट्रोल रूम से संचालित हो रहे हैं। अफसरों के अनुसार ट्रायल पूरा होने के बाद इन कैमरों को भी आईटीएमएस के कंट्रोल रूम से संचालित किया जाएगा।

अभी 43 लाख खर्च किए

बीरगांव नगर निगम ने तीन कैमरे और उसकी केबलिंग पर करीब 43 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। निगम ने प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें पुराने कैमरों को हटाकर और जहां कैमरे नहीं हैं उन सभी जगहों पर नए हाई मास्ट वाले कैमरे लगाए जाएंगे। भनपुरी के आगे रायपुर आरटीओ दफ्तर और वहां से जहां तक बीरगांव नगर निगम की सीमा है वहां नए हाई मास्ट वाले कैमरे लगाए जाएंगे।

तीसरी आंख बन चुके हैं कैमरे

चौक-चौराहों पर लगे कैमरे पुलिस के लिए तीसरी आंख बन चुके हैं। अब अपराधी बेहद चालाक हो चुके हैं। वे चोरी या कोई भी वारदात करने के लिए फोन लेकर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में चौराहों पर लगे कैमरे ही पुलिस के लिए तीसरी आंख बन चुके हैं। चोरी और लूट के अलावा हत्या व अपहरण जैसे संगीन मामलों में भी सीसीटीवी कैमरे की मदद मिल रही है। पिछले महीने तेलीबांधा में कारोबारी के ऑफिस में फायरिंग करने वाले अमन साव गैंग के शूटरों का क्लू भी कैमरे से ही मिला था। इसलिए हाईवे में भी कैमरे जरूरी हैं।

चौक-चौराहों पर लगे 11 सौ में 2 सौ खराब

राजधानी में आईटीएमएस (इंटिग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) के तहत 1100 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं। इसमें अभी करीब 900 कैमरे बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं। बाकी खराब हैं या उनसे फुटेज साफ नहीं मिल रहा है। पुलिस का दावा है कि रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई और कोरबा में बेतरतीब यातायात को सुधारने, गाड़ियों की रफ्तार पर कंट्रोल करने और सड़क हादसों की निगरानी के लिए जल्द ही 2000 सीसीटीवी कैमरे और लगाए जाएंगे। राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों का सर्वे करने के बाद सभी जिलों के यातायात पुलिस विभाग को इसका प्रस्ताव भेजने कहा है।

नए कैमरे लगाने से इस तरह के फायदे

  • ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने वालों पर सख्ती। ताकि सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या को कम किया जा सके।
  • हाई रेंज सीसीटीवी कैमरे लगाने से कई बड़ी वारदातों का खुलासा किया गया। अपराधी कैमरे की जद में आकर पकड़े जा रहे हैं।
  • यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के घरों तक ई-चालान भेजा जा रहा है। पुलिस का राजस्व भी बढ़ रहा।
  • पुलिस का दावा ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले 70 प्रतिशत वाहन चालकों की पहचान आईटीएमएस के कैमरों के कारण ही हो पाई है।
  • जिलों में अतिरिक्त कैमरे लगने से ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में मदद मिलेगी।

बीरगांव निगम के तीन इलाकों में नए हाई मास्ट कैमरे लगाए हैं। इसकी मॉनिटरिंग उरला-खमतराई थाने से की जा रही है। इनका रिजल्ट बेहद अच्छा आ रहा है। इस वजह से इस प्रोजेक्ट को बढ़ाया जा रहा है। जहां-जहां जरूरत है वहां नए कैमरे लगाने का प्रस्ताव तैयार हो रहा है।
बृजेश क्षत्रिय, कमिश्नर नगर निगम बीरगांव

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