पॉक्सो केस की विक्टिम को बार-बार कोर्ट न बुलाएं, सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पॉक्सो ऐक्ट के तहत सेक्सुअल ऑफेंस की विक्टिम को बयान के लिए बार-बार कोर्ट नहीं बुलाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि इस ऐक्ट का उद्देश्य इससे प्रभावित होगा। जो बच्चा सेक्सुअल ऑफेंस जैसी घटना के ट्रॉमा से गुजरा है उसे बार-बार उसी घटना के बारे में बयान के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें आरोपी ने पॉक्सो एक्ट की विक्टिम को जिरह के लिए कोर्ट में बुलाए जाने की गुहार लगाई थी।

‘विक्टिम को बार-बार ना बुलाया जाए’
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धुलिया की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि एक बार आरोपी (बचाव पक्ष) को विक्टिम से जिरह के लिए पर्याप्त मौका दिया जा चुका है। मौजूदा मामले में विक्टिम के साथ काफी लंबी जिरह की जा चुकी है और यह जिरह दो बार हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट की धारा-33 (5) के मुताबिक स्पेशल कोर्ट की ड्यूटी है कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि चाइल्ड विक्टिम को कोर्ट के लिए बार-बार ना बुलाया जाए।

डिशा का है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में आरोपी को चाइल्ड विक्टिम के साथ जिरह का कई मौका दिया जा चुका है और ऐसे में न्याय का तकाजा यही है कि याचिकाकर्ता आरोपी की अर्जी को स्वीकार न किया जाए। यह मामला ओडिशा का है और आरोपी के खिलाफ पॉक्सो का केस दर्ज है। आरोपी के खिलाफ उड़ीसा के नयागढ़ जिले में स्थित स्पेशल कोर्ट में केस चल रहा है। उसके खिलाफ रेप और पॉक्सो से संबंधित धाराओं के तहत मामला पेंडिंग है।

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