नई दिल्ली: देश में स्टूडेंट्स की आत्महत्या का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में स्टूडेंट्स ने सबसे ज्यादा स्यूसाइड किया। राजस्थान का कोटा आत्महत्या के मामलों में हमेशा चर्चा में रहता है, लेकिन इस रिपोर्ट में वह 10वें स्थान पर है।
आत्महत्या के मामलों में लगातार हो रहा इजाफा
‘छात्र आत्महत्याएं: भारत में फैली महामारी’ रिपोर्ट बुधवार को वार्षिक IC-3 सम्मेलन और एक्सपो 2024 में लॉन्च की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि जहां देश में कुल आत्महत्या के केस में सालाना 2 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है, वहीं छात्र आत्महत्या के मामलों में यह वृद्धि 4 पर्सेंट से ज्यादा है। ये हालात तब हैं जब स्टूडेंट्स की स्यूसाइड की पुलिस में रिपोर्ट कम दर्ज कराई जाती है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
IC-3 की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछले दो दशकों में छात्र आत्महत्याएं 4 पर्सेंट की चिंताजनक वार्षिक दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी हैं। 2022 में कुल स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं में छात्रों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत थी। 2021 और 2022 के बीच छात्र आत्महत्याओं में 6 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि छात्राओं की आत्महत्या में 7 पर्सेंट की वृद्धि हुई है।’ स्टूडेंट्स की आत्महत्या की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या ट्रेंड, दोनों को पार कर रही हैं। पिछले दशक में 0-24 वर्ष के बच्चों की आबादी 582 मिलियन से घटकर 581 मिलियन हो गई, जबकि स्टूडेंट्स आत्महत्या की संख्या 6,654 से बढ़ कर 13,044 तक हो गई है। IC-3 एक स्वयंसेवी संगठन है जो गाइडेंस और ट्रेनिंग रिसोर्सेज के माध्यम से दुनिया भर के हायर एजुकेशनल संस्थानों को सहायता प्रदान करता है।