तेल कीमतों से लेकर इंफ्रा प्रॉजेक्ट्स तक, मिडल ईस्ट में युद्ध से भारत को क्या है नुकसान

Spread the love

भारत के हित : मिडल ईस्ट में शांति भारत के लिए बहुत जरूरी है। इनके कई हित वहां से जुड़े हैं। इसलिए जब पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इस्राइल पर हमला किया और फिर इस्राइल ने गाजा पर हमले के रूप में उसका जवाब दिया तो भारत ने लगातार संतुलित रुख अपनाए रखा। उसने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित टू स्टेट फॉर्म्युले का समर्थन किया ताकि क्षेत्र में शांति स्थापित हो सके।

एनर्जी सिक्यॉरिटी पर असर : मिडल ईस्ट में किसी भी प्रकार की अशांति होती है तो उसका सीधा असर भारत की एनर्जी सिक्यॉरिटी और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वह क्षेत्र जहां भारत के लिए सामारिक रूप से अहम है, वहीं ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। सऊदी अरब, यूएई और इराक भारत के अहम एनर्जी पार्टनर हैं जो भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी करते हैं। वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा खपत में भारत की हिस्सेदारी 6.1% है, और 2050 तक यह हिस्सेदारी बढ़कर 9.8% हो सकती है।

आर्थिक हितों पर चोट : भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए काफी हद तक आयातित तेल और नैचरल गैस पर निर्भर है। अब मिडल ईस्ट में तनाव होता है तो सीधा असर तेल और नैचरल गैस की सप्लाई पर पड़ता है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब है भारत के आर्थिक हितों को नुकसान। सरकार ने ऐलान किया है कि उसके मौजूदा कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। ऐसे में अगर सप्लाई के एक बड़े हिस्से पर असर पड़ता है तो इसका चेन रिएक्शन होगा। तेल-गैस के दाम बढ़ने से महंगाई दर में इजाफा होगा, जिसका ग्रोथ पर बुरा असर पड़ सकता है।

रेड सी रूट बाधित : मिडल ईस्ट में तनाव का असर पहले ही हिंद महासागर में समुद्री व्यापार (मेरीटाइम ट्रेड) पर दिख रहा है। रेड सी इलाके में हूती विद्रोही एंटी शिप बैलेस्टिक मिसाइल तक का इस्तेमाल कर रहे है। रेड सी ग्लोबल ट्रेड की मुख्य आर्टिलरी है। 12 पर्सेंट इंटरनैशनल ट्रेड का रास्ता यही है। जब हूती विद्रोहियों ने यहां हमला शुरू किया तो दुनिया की पांच सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियों ने इस रास्ते को जोखिम भरा घोषित कर दिया। नतीजतन, एशिया से यूरोप और अमेरिका की ओर जाने वाले कंटेनर शिप और टैंकरों को अफ्रीका के केपटाउन के पास केप ऑफ गुड होप के रास्ते भेजा जा रहा है।

लंबे रूट की परेशानी : भारत का 80 पर्सेंट एनर्जी यानी क्रूड ऑयल फारस की खाड़ी के रास्ते आता है लेकिन एनर्जी के अलावा बाकी का 90 पर्सेंट ट्रेड स्वेज कनाल से होते हुए रेड सी के रास्ते ही आता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से ज्यादा क्रूड ऑयल लेना शुरू किया और यह क्रूड ऑयल भी रेड सी के रास्ते ही आ रहा है। यह अहम ट्रेड रूट है। केप ऑफ गुड होप वाले रूट से शिपमेंट में 10 दिन एक्स्ट्रा लगते हैं। इससे दूरी करीब 3,500 समुद्री मील (6,482 किलोमीटर) यानी 40 पर्सेंट बढ़ जाती है। दूरी बढ़ने से शिपमेंट महंगा होता है जबकि खतरा बढ़ने से बीमा प्रीमियम महंगा हो जाता है। दोनों ही स्थितियों में मार कंस्यूमर पर पड़ती है।

प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा : मिडल ईस्ट भारत के सामान और सेवाओं के लिए एक अहम मार्केट भी है। उन देशों से भारत के व्यापारिक संबंध लगातार बढ़ रहे हैं। उन देशों में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं। ये वहां की इकॉनमी में तो अहम रोल निभाते ही हैं, भारत को विदेशी मुद्रा भी भेजते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 1.34 करोड़ एनआरआई में से करीब 66 पर्सेंट संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, ओमान, कुवैत और बहरीन में रहते हैं। वहां अशांति इन भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा है।

रीजनल कनेक्टिविटी: मिडल ईस्ट में रीजनल कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट में भी भारत की सक्रिय भागीदारी है। ये भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों के लिए अहम हैं। इस तरह के प्रॉजेक्ट के जरिए भारत अपनी ट्रेड कनेक्टिविटी बढ़ाने और क्षेत्रीय प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। ईरान में चाबहार पोर्ट प्रॉजेक्ट, इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) और इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर (IMEC) में भारत की भागीदारी, सेंट्रल एशिया और यूरोप तक सीधी पहुंच पाने के मकसद से की गई है।

स्वेज कनाल पर निर्भरता : इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर (IMEC) की घोषणा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इटली, फ्रांस, जर्मनी, और यूरोपीय यूनियन के नेताओं की बैठक के बाद की गई। इस कॉरिडोर का एक अहम हिस्सा इस्राइल का हाइफा पोर्ट है। वहां जारी युद्ध की वजह से इसमें कितनी देरी होगी, कहा नहीं जा सकता। जब यह कॉरिडोर बनेगा तो स्वेज कनाल पर निर्भरता कम हो जाएगी और माल ढुलाई में भी कम वक्त लगेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *