पिछले पांच दिनों में रायपुर में मौसम इस तरह करवट बदल रहा है कि लोगों की सेहत ही बिगड़ने लगी है। तापमान का अचानक गिर जाना और फिर 24 घंटे के अंतराल में ही फिर चार से पांच डिग्री चढ़ जाना। सुबह मौसम साफ, तेज धूप के कारण गर्मी और उमस। शाम होते ही तेज बारिश। मौसम का एक तरह से शहर में सी-सॉ का झूला चल रहा है। तापमान और मौसम में इस तरह जल्दी-जल्दी बदलाव के कारण राजधानी में सर्दी-खांसी और मौसम बीमारियां बढ़ गई हैं। राजधानी समेत पूरे प्रदेश में पिछले करीब सप्ताहभर से मौसम की अजीब उठापटक चल रही है। मौसम साफ होता है और अगले ही दिन फिर से बारिश हो जाती है।
फिर मौसम साफ होता है, तेज धूप निकलती है और उसके बाद शाम को फिर पानी गिरने लगता है। पिछले चार-पांच दिनों से मौसम इसी तरह व्यवहार कर रहा है। इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ने लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान और मौसम में इस बदलाव की वजह लगातार बनने वाले मौसमी सिस्टम है।
एक सिस्टम बनता है। उससे बारिश हो जाती है। उसके आगे बढ़ते ही दूसरा सिस्टम सक्रिय हो जाता है। इसलिए 27 से 30 अगस्त तक तापमान में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा गया। दो दिन यानी 30 और 31 अगस्त से तापमान 34 डिग्री के आसपास है। अभी जो सिस्टम प्रभावी है, उसका प्रभाव दक्षिण छत्तीसगढ़ पर पड़ेगा। इसलिए रायपुर में रविवार को तापमान में बहुत ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं है। फिर भी समुद्र से आने वाली नमी के कारण तापमान में करीब दो डिग्री तक गिरावट आने की संभावना है।
29 को इसलिए हुई बारिश: मौसम विज्ञानियों के अनुसार 29 अगस्त को सुबह 11.30 बजे बंगाल की खाड़ी के बीच और उससे लगे हुए उत्तरी भाग पर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ था। इसी सिस्टम के कारण बड़े पैमाने पर समुद्र से नमी वाली हवा आई। इसने रायपुर में बारिश कराने के साथ ही मौसम को पूरी तरह ठंडा कर दिया। 30 अगस्त तक यह आगे बढ़ते हुए आंध्रप्रदेश और उससे लगे दक्षिण ओडिशा की तरफ जाएगा। इसके बाद यह बंगाल की खाड़ी की तरफ बढ़ते हुए एक अवदाब में बदल जाएगा। इससे 31 अगस्त और 1 सितंबर को प्रदेश में अच्छी बारिश होने की संभावना है। कहीं-कहीं भारी बारिश भी हो सकती है।
28 को इसलिए तापमान ज्यादा : 28 अगस्त तक राजधानी में मौसम पूरी तरह साफ रहा। दिन का तापमान भी सामान्य से अधिक था। क्योंकि छत्तीसगढ़ को प्रभावित करने वाला कोई सिस्टम सक्रिय नहीं था। 27 अगस्त को गुजरात और उसके आसपास सिस्टम बने हुए थे। उत्तरी छत्तीसगढ़ थोड़ा प्रभावित हुआ, लेकिन मध्य और दक्षिण छत्तीसगढ़ पर इसका कोई असर नहीं हुआ। इसलिए 27 और 28 अगस्त को रायपुर में मौसम पूरी तरह साफ रहा और तापमान में लगातार वृद्धि हुई। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि मानसून के दौरान कई बार इस तरह की स्थिति बनती है। एक सिस्टम के गुजरते ही दूसरा सिस्टम बनता है।
लालपुर मौसम केंद्र की मौसम विज्ञानी डा. गायत्री वाणी कांचिभ ने कहा कि मानसून के दौरान यह कोई रेयर घटना नहीं है। कई बार ऐसा होता है जब लगातार सिस्टम बनते हैं। सिस्टम लगातार आगे बढ़ते जाते हैं। बारिश कराने के बाद वह आगे बढ़ जाता है। इससे पीछे छूटे हुए हिस्से में मौसम साफ होने लगता है। फिर दूसरा सिस्टम बनता है और उसे क्षेत्र में प्रभावी रहता है, उसकी वजह से बारिश हो जाती है। 28 से 30 अगस्त के बीच ऐसे ही सिस्टम सक्रिय रहे। इस वजह से तापमान में यह बदलाव दिखा।
वायरल के साथ डेंगू- स्वाइन फ्लू फैला
इन दिनों वायरल फीवर के अलावा डेंगू और स्वाइन फ्लू भी फैला हुआ है। अंबेडकर अस्पताल के अलावा शहर के ज्यादातर निजी अस्पतालों में डेंगू और स्वाइन फ्लू के रोज एक न एक मरीज पहुंच रहे हैं। अन्य मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी, खांसी, पेट दर्द, सिर दर्द, दस्त और उल्टी के भी मरीज अस्पतालों की ओपीडी इलाज कराने आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मौसम में हो रहे बदलाव के कारण बीमारी ज्यादा फैली है।
अस्पतालों में मरीजों की भीड़
अंबेडकर असापताल में रोजाना 600 से ज्यादा नए मरीज पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल में भी 400 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। भीड़ बढ़ने से कई लोगों को बिना इलाज ही वापस लौटना पड़ रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी भीड़ लग रही है।
एक्सपर्ट व्यू – भीड़ में जाने से बचें
भीड़ वाली जगह में जाने से परहेज अभी जरूरी है। सर्दी-जुकाम और बुखार पीड़ित मरीजों के संपर्क में आने से संक्रमण फैलने की पूरी संभावना रहती है। किसी मरीज को कौन सा बुखार स्वाइन फ्लू है और कौन सा डेंगू मलेरिया? ये जांच के बिना मालूम करना संभव नहीं है। इसलिए ऐसे मरीजों के संपर्क में जाने के पहले मास्क का उपयोग अनिवार्य रूप से करें। हालांकि इससे ज्यादा घबराने की जरुरत भी नहीं है। बुखार आने पर अपने डॉक्टर से सलाह लें। बुखार के साथ खांसी लगातार हो रही है तो जरुरी जांच कराएं। बीमारियों को नजरअंदार करना खतरनाक भी हो सकता है।
-डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, मेडिसिन एक्सपर्ट, अंबेडकर अस्पताल