रायपुर समेत प्रदेश में चुनाव फरवरी-मार्च तक, कार्यकाल खत्म हो रहा 5 जनवरी को, चुनाव तक बिठाएंगे प्रशासक ओबीसी आरक्षण को लेकर राजधानी समेत पूरे प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव इस साल दिसंबर में होना मुश्किल है। राज्य में ओबीसी का सर्वे चल रहा है। ओबीसी समुदाय के करीब 1.25 करोड़ लोगों का सर्वे एक माह में नहीं हो सकेगा। सर्वे के बिना ओबीसी आरक्षण नहीं हो सकता।
आरक्षण के बिना चुनाव कराना संभव नहीं है। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि दिसंबर में होने वाले चुनाव को दो-तीन महीने के लिए टाला जाएगा। रायपुर निगम की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल 5 जनवरी को खत्म हो रहा है। ऐसी स्थिति में चुनाव होने तक रायपुर में प्रशासक बिठाए जा सकते हैं।
तयशुदा शेड्यूल के अनुसार 5 जनवरी तक नई कार्यकारिणी का गठन हो जाना है। इसके लिए दिसंबर के अंत तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। अंतिम मतदान से डेढ़ महीने पहले यानी अक्टूबर के अंत या नवंबर के पहले पखवाड़े तक चुनाव आचार संहिता घोषित होनी है।
मतदाता सूची का पुनरीक्षण, सूची का प्रकाशन, आरक्षण की प्रक्रिया इत्यादि अक्टूबर तक पूरी होना जरूरी है। ये पूरी कवायद प्रदेश में चल रहे ओबीसी सर्वे पर निर्भर है। निगम के ही कई अफसरों और जानकारों के अनुसार पूरे प्रदेश के ओबीसी का सर्वे महीनेभर में पूरा होना मुश्किल है। इसी वजह से इस बार प्रक्रिया में देर होगी। निगम की राजनीति से जुड़े नेताओं की भी यही आशंका है कि तय समय पर चुनाव होना मुश्किल है।
ओबीसी वार्ड में भाजपा आगे, इसलिए बिना आरक्षण चुनाव का नहीं लेगी रिस्क
ओबीसी आरक्षण भाजपा के लिए फायदेमंद रहा है। पिछले चुनाव में 18 वार्ड ओबीसी के लिए आरक्षित किए गए थे। इनमें से 11 वार्डों में भाजपा के प्रत्याशी जीते थे। महज 7 वार्ड ही कांग्रेस के खाते में आए थे। ओबीसी वार्डों में भाजपा बढ़त में है। ओबीसी सर्वे में देरी होने पर समय में चुनावी प्रक्रिया बिना आरक्षण के पूरी नहीं हो पाएगी। भाजपा इस पर रिस्क नहीं लेगी। इसलिए बिना आरक्षण चुनाव होने की संभावना कम है। उस स्थिति में राज्य सरकार को चुनाव आगे बढ़ाना होगा। ऐसा हुआ तो दो-तीन महीने के लिए नगर निगम में प्रशासक बैठाए जाने की कांग्रेस की आशंका को बल मिल रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा तय पर चुनाव संभव नहीं महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि तय समय पर चुनाव होना संभव ही नहीं है। अब तक प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई है। पिछले चुनाव में सितंबर में आरक्षण हो गया था। अभी तक आरक्षण का अता-पता नहीं। कांग्रेस के एमआईसी सदस्य श्रीकुमार मेनन का कहना है कि राज्य सरकार हार के डर से चुनाव को जानबूझकर देरी से कराने का प्रयास कर रही है।
भाजपा नेता बोले- कोर्ट की गाइड लाइन से होगा आरक्षण नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे का कहना है कि कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार आरक्षण होना है। इसलिए सर्वे किया जा रहा है। तय समय पर चुनाव होंगे। भाजपा पार्षद सूर्यकांत राठौर का कहना है कि तय समय पर चुनाव होंगे। इसके लिए आरक्षण को छोड़कर बाकी सभी प्रक्रिया पूरी कर लेनी होगी। सर्वे के बाद ओबीसी के डेटा मिलते ही आरक्षण किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ओबीसी आरक्षण के लिए वास्तविक डाटा होने चाहिए। सर्वे कराया जा रहा है। दिसंबर तक चुनाव होना संभव नहीं है। नगरीय निकायों में प्रशासक बैठाएंगे। चुनाव फरवरी-मार्च तक टाला जा सकता है। गिरीश दुबे, अध्यक्ष रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी
सर्वे नहीं हो सका तो पुराने आरक्षण के अनुसार ही चुनाव कराए जाएंगे। समय पर ही चुनाव होगा। जनवरी तक नई एमआईसी का गठन हो जाएगा। किसी भी परिस्थिति में चुनाव टालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जयंती भाई पटेल, अध्यक्ष रायपुर जिला भाजपा