छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू हो गई है, लेकिन खरीदी केन्द्रों की रौनक गायब है। क्योंकि किसान अपनी उपज बेचने नहीं आ रहे हैं। इंतजार नई सरकार का है, जिसमें कर्जमाफी के साथ एकमुश्त पैसा मिलने की उम्मीद है। प्रदेश में इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने किसानों के मुद्दे को केन्द्र में रखकर चुनाव लड़ा है। पिछली हार से सबक लेकर बीजेपी ने भी इस बार किसानों पर ही दांव खेला है।
पहले चरण की वोटिंग के ठीक 3 दिन पहले अमित शाह ने एकमुश्त 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने की गारंटी दी। इसके ठीक बाद कांग्रेस ने आगे बढ़कर 3200 रुपए प्रति क्विंटल देने का ऐलान कर दिया। इतना ही नहीं पिछली बार की तरह कांग्रेस ने कर्ज माफी की घोषणा भी की है। चुनाव के बाद हम ये पड़ताल करने निकले कि आखिर छत्तीसगढ़ के किसान किसकी सरकार बना रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से चल रही धान खरीदी
प्रदेश में 1 नवंबर से धान खरीदी जारी है। चुनाव के बाद अब कई खेतों में फसलों की कटाई चल रही है। कुछ किसानों ने फसल ले भी ली है, लेकिन उपज बेचने से पहले नई सरकार का इंतजार कर रहे हैं। दोनों ही पार्टियों ने किसानों को लेकर घोषणाएं की हैं।
क्या कहते हैं अभनपुर के लखना गांव के किसान
मीडिया की टीम सबसे पहले रायपुर से लगे अभनपुर के लखना गांव पहुंची। यहां धान की कटाई में जुटे किसान छबिलाल देवांगन ने बताया कि वे तुरंत फसल बेचना नहीं चाहते, लेकिन उनका टोकन कट चुका है, इसलिए धान बेचना ही होगा। छबिलाल का कहना है कि सरकार किसी की भी बने, लेकिन किसानों को पैसा अगर एकमुश्त ही मिले तो ज्यादा अच्छा बेहतर होगा। छबिलाल ने किसी भी तरह का कर्जा नहीं लिया है।
‘रमन के वादों पर नहीं रहा भरोसा’
इसके बाद इसी विधानसभा क्षेत्र के पोंड गांव पहुंचे जहां के किसान लखन साहू का कहना है कि फसल कटाई के बाद दो बार वो धान बेच चुके हैं। इसके बाद 2-3 बार फिर से वो धान खरीदी केन्द्र जाएंगे। लखन का कहना है कि अब नई सरकार का इंतजार है। सरकार बनने के बाद ही धान बेचने जाएंगे। इससे पहले भी रमन सरकार के दौरान 300 रुपे बोनस देने की बात कही गई थी, लेकिन नहीं मिला।
कर्ज माफी कई किसानों के लिए बड़ी राहत
मीडिया की टीम राजिम विधानसभा क्षेत्र के कुम्ही गांव पहुंची। यहां फसल कटाई के बाद लोगों ने घरों के सामने धान सुखाने के लिए रख छोड़ा है। ऐसे ही एक घर के सामने किसान भागवत टंडन मिले। उनका कहना है कि एक से दो दिन में वो धान बेचने जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसी की भी बने, धान की कीमत तो बढ़कर ही मिलेगी। भागवत का कहना है कि भाई ने कर्ज लिया है और कर्ज माफी होती है, तो पूरे परिवार के लिए राहत होगी।
राजिम के बाद हम आरंग पहुंचे। यहां के पिपरहट्टा गांव में किसान मुरली सिंह ठाकुर मिले। उन्होंने कहा कि पिछली बार 4 किश्तों में धान खरीदी का पैसा मिल गया है। इसी गांव के परमानंद ने बताया कि पिछली बार साढ़े तीन लाख का कृषि लोन लिया था और इस बार भी करीब 3 लाख 75 हजार रु. का कर्ज है। पिछले चुनाव में ऋण माफी के बाद इस बार भी उम्मीद है कि कर्ज माफ हो जाएगा।
धान खरीदी केंद्रों में चहल-पहल नहीं
दुर्ग संभाग में किसानों से बात करने निकली मीडिया की टीम अहिवारा विधानसभा क्षेत्र के ढौर गांव पहुंची। यहां धान खरीदी भले ही शुरू हो गई है, लेकिन किसानों की भीड़ यहां दिखाई नहीं दे रही। कुछ किसान टोकन कटने पर यहां पहुंचे थे। उनके उपज की तौलाई चल रही थी।
किसान मन्नूलाल ने बताया कि वो नई दर पर धान बेचना चाहते हैं। एकमुश्त राशि उन्हें नहीं चाहिए, बल्कि किश्तों में राशि मिलनी चाहिए। वो कहते हैं कि एकमुश्त पैसा आता है, तो तुरंत खर्च हो जाता है। किसान संजीव चौरसिया का कहना है कि कर्ज माफी की स्कीम अच्छी है। वहीं, किसान शत्रुघ्न ने कहा कि वो 3100 रु. प्रति क्विंटल में 21 क्विंटल धान बेचना चाह रहे हैं।
3 दिसंबर के बाद दिखेगी रौनक
मीडिया की टीम बिलासपुर संभाग के बिरकोना और खमतराई गांव पहुंची। यहां खमतराई के धान खरीदी केन्द्रों में 22 दिन बाद भी बिक्री के लिए धान की आवक शुरू नहीं हुई है। केन्द्र के प्रभारी ने बताया कि दो दिन पहले ही बोहनी हुई है।
खरीदी केन्द्र में पहुंचे किसान महेश राम साहू ने बताया कि किसान नई सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं। 3 दिसंबर को मतगणना के बाद ही खरीदी केन्द्र जाएंगे। उनका कहना है कि उन्हें एकमुश्त राशि पर ज्यादा भरोसा है। जबकि, देवचरण साहू ने कहा कि पहली बार है जब दोनों ही पार्टियों ने एक-दूसरे से बढ़कर देने का वादा किया है, लेकिन राशि एकमुश्त ही मिले तो ज्यादा बेहतर है।