नवा रायपुर प्रोजेक्ट…350 एकड़ जमीन अधिग्रहण पर अपील खारिज : हाईकोर्ट बोला- किसानों की सहमति जरूरी; NRDA को भूविस्थापितों से करना होगा समझौता….!!

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने नवा रायपुर प्रोजेक्ट के लिए 350 एकड़ जमीन अधिग्रहण केस में NRDA की अपील को खारिज कर दिया है। साथ ही कहा है नया रायपुर विकास प्राधिकरण को जमीन अधिग्रहण करने के लिए भू-विस्थापित किसानों से समझौता करना होगा। डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि नए कानून के तहत विस्थापित हो रहे भूमि स्वामी किसानों की सहमति आवश्यक है। इस फैसले के बाद NRDA को भू-अर्जन के लिए नए सिरे से अवार्ड पारित करना होगा।

नया रायपुर विकास प्राधिकरण (NRDA) ने नवा रायपुर प्रोजेक्ट के लिए आरंग तहसील के ग्राम रीको के किसानों की करीब 350 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। स्थानीय किसानों ने अधिग्रहण में मुआवजे के संबंध में नियमों का पालन नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर करीब 350 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को निरस्त करने का आदेश दिया था। 27 नवंबर 2018 के इस आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की थी।

किसानों ने कहा- जनसुनवाई में भी की थी आपत्ति

ग्राम रीको के किसानों ने पुराने कानून के अनुसार मुआवजा तय करने का विरोध किया था। प्रोजेक्ट के लिए जब जन सुनवाई हुई तब भी पीड़ित किसानों ने आपत्ति की थी, जिसे कमिश्नर के पास भेज दिया गया। लेकिन, कमिश्नर ने किसानों के खिलाफ आदेश जारी कर दिया। तब परेशान होकर किसानों ने हाईकोर्ट की शरण ली और याचिका दायर कर भूमि अधिग्रहण के फैसले को अवैधानिक बताया।

इसमें कहा कि 1894 के एक्ट के आधार पर 2014 में मुआवजा तय करना अनुचित है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने किसानों के पक्ष में निर्णय देते हुए भूमि अधिग्रहण को निरस्त करने का आदेश दिया।

डिवीजन बेंच ने खारिज की अपील, सिंगल बेंच के फैसले पर मुहर

NRDA ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील की। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की बेंच में हुई। जिसमें जमीन अधिग्रहण को लेकर सुप्रीम कोर्ट और मुंबई हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया।

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि पुराने भू-अर्जन अधिनियम के तहत शुरू की गई प्रक्रियाओं पर भी नए कानून का प्रभाव पड़ेगा। धारा 6 का प्रकाशन एक जनवरी 2014 से पहले किया गया था। इसलिए भूविस्थापितों को भू-अर्जन अवार्ड एक वर्ष के भीतर करना था।

अब समय सीमा के बाद किया गया भू-अर्जन अवार्ड शून्य माना जाएगा। NRDA को किसानों से फिर से समझौता करना होगा। नए कानून के तहत 75 फीसदी किसानों की सहमति जरूरी है। इसके साथ ही डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराते हुए NRDA की अपील को खारिज कर दिया है।

हाईकोर्ट ने किसानों के पक्ष में कही ये बातें

  • पुराने भू-अर्जन अधिनियम के तहत शुरू की गई प्रक्रियाओं पर भी नए कानून का प्रभाव पड़ेगा।
  • धारा 6 का प्रकाशन एक जनवरी 2014 से पहले किया गया था। लिहाजा भूविस्थापितों को भू-अर्जन अवार्ड एक वर्ष के भीतर करना था।
  • समय सीमा के बाद किया गया भू-अर्जन अवार्ड शून्य माना जाएगा।
  • NRDA को किसानों से फिर से समझौता करना होगा। नए कानून के तहत किसानों की सहमति जरूरी है।

अब NRDA प्रोजेक्ट में हो सकती है देरी

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद जमीन अधिग्रहण नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने पर नया रायपुर योजना में देरी होगी। इसी तरह से अन्य गांव के पीड़ित हजारों किसानों की भी 96 याचिकाएं लंबित है, जिसमें NRDA के खिलाफ फैसला आना तय है।

ऐसे में प्रक्रिया में देरी के साथ ही निर्माण लागत और योजना मद में भी बढ़ोतरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। किसानों की सहमति के बिना सरकार योजना आगे नहीं बढ़ सकती।

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