नगर निगम के उन अधिकारियों की गाड़ियों को जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) से जोड़ा जाएगा, जिनकी ड्यूटी फिल्ड में है। इसके जरिए आसानी से ये पता लगाया जा सकेगा कि वे फील्ड में गए या नहीं। आमतौर पर लोगों की शिकायत रहती है कि अफसर फील्ड में जाते ही नहीं हैं।
निगम के पास भी ऐसी स्थिति से निबटने के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था अब तक नहीं है। इसलिए अफसरों और निगम के इंजीनियरों के फील्ड पर काम की सही मानिटरिंग भी नहीं हो पाती। लेकिन अब इनकी गाड़ियों में ट्रैकर लगाया जाएगा। निगम के पास करीब 450 गाड़ियां हैं।
नगर निगम ने गाड़ियों में जीपीएस आधारित ट्रैकर लगाने के लिए प्राइवेट कंपनियों से टेंडर मंगवाया है। दो अक्टूबर को टेंडर खुलेगा। टेंडर हासिल करने वाली कंपनी ट्रैकिंग सिस्टम लगाएगी और उसका संचालन भी करेगी। एक कंट्रोल रूम होगा। यहां पर हर गाड़ी की लाइव लोकेशन देखी जा सकेगी।
कंपनी के पास हर गाड़ी की पूरी जानकारी होगी। कौन सी गाड़ी किस समय कहां थी, दिनभर में कितने किमी चली है। इस तरह हर गाड़ी की निगरानी की जा सकेगी।
डोर टू डोर कचरा कलेक्शन वाली गाड़ियों की जीपीएस से निगरानी हो रही है। अब अफसरों और इंजीनियरों की गाड़ियां भी जीपीएस से ट्रैक होंगी। टेंडर के बाद जल्द ही यह शुरू हो जाएगा। – अबिनाश मिश्रा, कमिश्नर, ननि