महानगरों की तर्ज पर विकसित हो रही राजधानी रायपुर में कामकाजी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। राज्य के छोटे-छोटे शहरों के अलावा मेट्रो की महिलाएं भी यहां आकर प्राइवेट और सरकारी विभागों में काम कर रही हैं। उनके रहने के लिए रायपुर में सरकारी स्तर पर एक भी वर्किंग वुमन हॉस्टल नहीं हैं। इसलिए पहली बार उनकी इन जरूरतों को देखते हुए नगर निगम जल्द ही शहर के भीतर तीन बड़े हॉस्टल एक साथ बनाने की तैयारी कर रहा है। इस पर करीब 50 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
निगम के सर्वे के अनुसार सरकारी विभागों में ही काम करने वाली करीब आठ हजार महिलाएं शहर में किराए के मकानों में रह रही हैं। प्राइवेट संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है। आर्थिक रूप से सक्षम महिलाएं शहर के भीतर, पॉश कालोनियों और सुरक्षित स्थानों पर मकान किराए पर लेकर रह पाती हैं।
लेकिन कम इंकम वाली महिलाओं को सुरक्षा और सुविधाओं से समझौता करना पड़ रहा है। इन्हीं दिक्कतों को दूर करने के लिए शहर में अग्रसेन चौक के पास, तेलीबांधा थाने के नजदीक और टाटीबंध में तीन जगहों पर वर्किंग वुमन हास्टल तैयार करने का प्लान बनाया गया है। ये तीनों जगह सुरक्षित हैं। यहां रहने वाली महिलाओं को पब्लिक ट्रांसपोर्ट आसानी से मिल जाएगा।
30 साल का प्लान भेजा, केंद्र से मिले 50 करोड़ निगम के इंजीनियर अंशुल शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री आफ फाइनेंस के डिपार्टमेंट आफ एक्सपेंडिचर ने देशभर में 5000 करोड़ का बजट जारी किया है। इसमें छत्तीसगढ़ को 200 करोड़ और इसमें से केवल रायपुर के लिए 50 करोड़ रुपए रिजर्व किए गए हैं। अगले 30 साल तक के लिए हॉस्टल निर्माण और उसके आपरेशन का प्लान तैयार कर लिया गया है। नई बिल्डिंग तैयार होने के बाद पीपीपी मोड पर इसका संचालन किया जाएगा। प्राइवेट एजेंसियों से टेंडर मंगाएंगे। पात्र कंपनियों को काम सौंपा जाएगा। कंपनी हॉस्टल में कमरा देने, उनके खाने-पीने तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
फुंडहर हास्टल बनने के बाद आज तक एक भी महिला रहने नहीं गई निगम ने फुंडहर के पास करीब छह साल पहले एक वर्किंग वुमन हॉस्टल बनाया था। 11 करोड़ से तैयार इस बिल्डिंग का उपयोग ही नहीं किया गया। शहर से दूर होने की वजह से इस हॉस्टल में कभी कोई महिला रहने ही नहीं गई। उपयोग नहीं होने के कारण बिल्डिंग खंडहर हो रही है। लगातार भवन के खाली होने की वजह से पिछली सरकार ने हॉस्टल में बड़े हिस्से को राज्य योग आयोग को दे दिया था।
निगम की इस बिल्डिंग को जब राज्य योग आयोग को हस्तांतरण करने का प्रस्ताव निगम की सामान्य सभा में लाया गया था तब बिल्डिंग बनाने के औचित्य पर भी सवाल उठाए गए थे। पार्षदों का कहना था कि निगम अफसरों ने हास्टल के लिए जगह के चयन में सुरक्षा को ध्यान क्यों नहीं दिया। 11 करोड़ रुपए खर्च कर बिल्डिंग बनाई गई और उसका कोई उपयोग नहीं हुआ।
पीपीपी मोड में चलाएंगे, किराया होगा कम
^ केंद्र सरकार को योजना सौंप दी है। मंजूरी मिलने के बाद हॉस्टल बनाने का काम शुरू हो जाएगा। बिल्डिंग बनते ही इसके संचालन के लिए एजेंसी तय कर देंगे। न्यूनतम किराये में कामकाजी महिलाओं को रहने की सुविधा मिलेगी। यहां डे केयर की भी सुविधा होगी। – अबिनाश मिश्रा, निगम कमिश्नर