नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक गैरी रुबकुन और विक्टर एम्ब्रोस ने 1 मिलीमीटर लंबे कीड़े कैनोरहेबडिटिस एलेगन्स (C. elegans) के माध्यम से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजें की हैं, जिससे कई बार नोबेल पुरस्कार मिले हैं। 2002 में, C. elegans की मदद से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिली कि कैसे स्वस्थ कोशिकाएँ खुद को नष्ट करती हैं, जो कई बीमारियों जैसे AIDS और स्ट्रोक से जुड़ी प्रक्रियाओं को उजागर करता है।
2006 में, एंड्रयू फायर और क्रेग मेलो ने इसी कीड़े का उपयोग करते हुए जीन साइलेंसिंग की क्रांतिकारी खोज की, जिसमें RNA इंटरफेरेंस (RNAi) के जरिए जीन की अभिव्यक्ति को नियंत्रित किया गया। यह शोध जीन साइलेंसिंग की प्रभावी विधियों को समझने के लिए आधारशिला साबित हुआ।
2008 में भी, C. elegans ने फिर से विज्ञान जगत में हलचल मचाई, जब इसकी मदद से जीन विनियमन में माइक्रोआरएनए (microRNA) की भूमिका का पता चला, जो कोशिकीय प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। इन सभी खोजों ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र में सुधार किया, बल्कि भविष्य की रिसर्च के लिए भी नए द्वार खोले
यह कीड़ा, मात्र एक चावल के दाने से भी छोटा, वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल ऑर्गेनिज़्म बन चुका है, जिसने जीन अभिव्यक्ति, सेल मृत्यु, और RNA इंटरफेरेंस जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं की समझ को गहरा किया है।