बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कोटमसर गुफा के द्वार अभी भी पर्यटकों के लिए बंद हैं। अक्टूबर महीने में भी गुफा के द्वार पर्यटकों के लिए नहीं खोले जा सके। अधिकारियों का कहना है कि, बारिश के कारण चट्टानें फिसलन भरी हैं। अगर बारिश नहीं हुई तो नवंबर में गुफा को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।
दरअसल, हर साल बारिश से पहले 15 जून से गुफा को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है, क्योंकि गुफा में बारिश का पानी भर जाता है। इस बार गुफा के द्वार 1 अक्टूबर को खोलने की योजना बनाई गई थी। लेकिन बारिश नहीं थमी और यही वजह रही की राष्ट्रीय उद्यान के अफसरों ने 22 अक्टूबर को गुफा को खोलने का निर्णय लिया था। हालांकि इस बीच भी बारिश हो गई।
अफसरों ने जब गुफा का निरीक्षण किया तो चट्टानों में फिसलन पाई गई। इस वजह से 22 अक्टूबर को भी पर्यटकों के लिए गुफा के द्वार नहीं खुल पाए। वहीं, कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के DFO चूड़ामणि का कहना है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो नवंबर से पर्यटकों के लिए गुफा खोल दी जाएगी। जिससे लोग कोटमसर गुफा का लुत्फ उठा सकेंगे।
ये है खासियत
- चूना पत्थर के रिसाव, कार्बन डाईऑक्साइड, पानी की रासायनिक क्रिया से सतह से लेकर छत तक प्राकृतिक संरचनाएं बनी हैं।
- इस गुफा को पहले गोपनसर कहते थे, जो बाद में कोटमसर गांव के नजदीक होने से कोटमसर गुफा के नाम से प्रसिद्ध हुई।
- इस गुफा को भारत की सबसे पहली जैविक रूप से खोजी गई गुफा होने का गौरव प्राप्त है।
- इस गुफा में रंगबिरंगी अंधी मछलियां पाई जाती हैं, जिन्हें प्रोफेसर के नाम पर कप्पी ओला शंकराई कहते हैं।
- गुफाओं में ज्यादा गहराई तक जाने पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
- कांगेर घाटी की यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम नवंबर से जून के मध्य तक है।