परिवार और घर की देखभाल करने वाली ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बनते हुए समाज में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। बस्तर सरस मेले में दुर्ग जिले के ग्राम पंचायत बोरीगारका की महिलाओं ने 20 हजार रुपये की मोमबत्तियों का विक्रय कर अपनी मेहनत का फल प्राप्त किया है।
ग्राम पंचायत बोरीगारका की श्रीमती पुष्पा साहू ने “सिद्धी स्व-सहायता समूह” से जुड़कर अन्य महिलाओं के साथ “बिहान योजना” में काम शुरू किया। प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर योजना के तहत बैंक से ऋण लेकर उन्होंने अचार, पापड़, मोमबत्ती, दीया और केक का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने व्यवसाय की नींव रखी। इस समूह के जरिये महिलाएं अब सालाना 1-2 लाख रुपये तक की आय कमा रही हैं, जिससे वे अपने बच्चों की शिक्षा का खर्चा उठा रही हैं।
श्रीमती साहू ने व्यवसाय को विस्तार देने के लिए एक स्कूटी भी खरीदी, जिससे वे अपने उत्पादों को गांव-गांव पहुंचा रही हैं। उन्होंने अपने बेटे को उच्च शिक्षा हेतु बिलासपुर पीएससी कोचिंग में दाखिला भी दिलाया है। दीवाली के अवसर पर समूह की महिलाएं विशेष रूप से मोमबत्तियां, दीये और सजावटी सामान बनाकर गांव से शहर तक पहुंचा रही हैं, जो उनके आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम को दर्शाता है।
श्रीमती पुष्पा साहू, जो खुद एक प्रशिक्षित उद्यमी हैं, अब राजनांदगांव, रायपुर, और बेमेतरा जैसे जिलों की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं। उन्होंने बताया कि 22 मई 2015 को इस समूह का गठन हुआ था, जिसमें 11 सदस्य हैं। शुरुआत में बैंक से ऋण लेकर अचार बनाने का कार्य शुरू किया, जो अच्छा मुनाफा देने लगा। इसके बाद समूह की महिलाओं ने मोमबत्ती बनाने का प्रशिक्षण लिया, जिससे आमदनी में और बढ़ोतरी हुई।
अब समूह की मोमबत्तियां और अन्य उत्पाद रायपुर, बालोद, कवर्धा, बस्तर और जगदलपुर जैसे विभिन्न जिलों में भी पहुंच रहे हैं। उनकी इस सफलता को देखते हुए 26 और 27 अक्टूबर को दुर्ग जिला पंचायत परिसर में आयोजित होने वाले “बिहान बाजार” में उनके स्टॉल को स्थान मिला है। समूह की महिलाएं मोमबत्तियों के साथ-साथ अचार, बड़ी, पापड़ और केक का भी उत्पादन कर रही हैं। पंचायत द्वारा उन्हें शासन की योजनाओं के तहत मछली पालन के लिए एक तालाब भी 10 साल की लीज पर प्रदान किया गया है।