मिट्टी-हवा, पानी और धूप से बीमारियों का इलाज:छत्तीसगढ़ में 10 एकड़ में बनेगा पहला नेचुरोपैथी सेंटर; इलाज से जुड़े कोर्सेस भी शुरू होंगे…!!

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केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयुष मेडिकल कॉलेज के पास पहला प्राकृतिक चिकित्सा सेंटर (नेचुरोपैथी सेंटर) बनाने जा रही है। नेचुरोपैथी सेंटर में अंग्रेजी दवाओं से नहीं बल्कि हवा, पानी, मिट्टी और धूप से इलाज होगा। यह संस्थान 10 एकड़ में बनकर तैयार होगा, जिसकी लागत करीब 90 करोड़ रुपए है। इस संस्थान में जोड़ों के दर्द, हड्डियों के दर्द, पंचकर्म, आहार, मिट्‌टी और मसाज थैरेपी से इलाज होगा। इन बीमारियों के इलाज से जुड़े कोर्सेस भी होंगे। प्रदेश के स्टूडेंट पढ़ाई कर प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में अपना करियर भी बना सकेंगे। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने संस्थान के बारे में जानकारी दी।

यहां देशभर के एक्सपर्ट मौजूद रहेंगे

स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने बताया कि यह पहला संस्थान होगा, जहां देशभर के एक्सपर्ट मौजूद रहेंगे। ये योग और नेचुरोपैथी का आधुनिक सेंटर होगा। ये भारत सरकार का प्रोजेक्ट है। यहां केंद्र से एक्सपर्ट अपॉइंट होंगे। जैसे केरल-हरिद्वार में विदेशों से भी आज लोग प्राकृतिक चिकित्सा के लिए आते हैं, उस स्तर की सेवाएं यहां भी मिलेंगी।

सेंटर में होंगी ये सुविधाएं

मंत्री ने बताया कि अनुसंधान केन्द्र में बाह्य रोगी (OPD) और प्रशासनिक ब्लॉक, आंतरिक रोगी ब्लॉक, स्टाफ क्वार्टर, योग हॉल, आहार केन्द्र, मालिश और फिजियोथेरेपी अनुभाग के साथ ही अनुसंधान ब्लॉक भी स्थापित होंगे। यह केन्द्र स्पा और वेलनेस थेरेपी में ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट कोर्स करवाएगा।

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही अनुसंधान में फेलोशिप कोर्स भी यहां संचालित होंगे। यहां वेलनेस थेरेपी में सर्टिफिकेट कोर्स और अनुसंधान में फेलोशिप पाठ्यक्रम भी होगा। यहां 100 बेड की व्यवस्था होगी। इसके साथ ही मोटापा, प्री डायबिटीज, मेटाबोलिक सिंड्रोम और गठिया जैसे रोगों के इलाज की सुविधा मिलेगी।

कैसे होता है मिट्‌टी-हवा से इलाज

मिट्‌टी से उपचार

मिट्टी में मैग्नेशियम, सोना, तांबा, जिंक जैसे तत्व पाए जाते हैं। जिंक राजस्थान के उदयपुर में अधिक होता है पर अमूमन इसे कुछ तत्व पाए जाते हैं। मिट्टी से एंटि एनर्जी पैदा करके शरीर में लचीलापन लाना, त्वचा रोगों को खत्म करने क लिए 28 प्रकार की औषधियां मिलाई जाती हैं।

लक्षण के आधार पर दवा तैयार कर रोगी को दी जाती है। मिट्‌टी का लेप लगाकर मरीज को सुबह की गुनगुनी धूप में कुछ देर रखकर नहलाया जाता है।

अग्नि यानि ताप से इलाज

अग्नि में एंटी एक्टिव वायरस पाया जाता है। शरीर को अग्नि की सीधी रोशनी से शरीर को तपाया जाता है, जिससे शरीर में फैलने वाले वायरस को नष्ट किया जा सकता है। इसी तरह भारी जल से भाप, गर्म पानी, नीबू पानी, जूस पानी का उपचार शरीर के अंदर होने वाली पेट संबंधी बीमारियों के लिए किया जाता है।

इसमें पेट दर्द, गैस, पाचन तंत्र, किडनी, लीवर से संबंधित बीमारियों का उपचार संभव किया जाता है।

वायु और जल से उपचार

प्राकृतिक औषधियों में वायु सबसे उत्तम उपचार माना जाता है। प्राचीन काल से लेकर वर्तमान में भी संतों द्वारा इस पद्धति को अपनाकर रोगों को दूर किया जाता है। वायु से शरीर को मुख्य प्राणायाम यानि प्राणवायु प्राप्त होती है।

योगासन से शुद्ध वायु को शरीर के अंदर प्रवेश कराकर अंदर हानिकारक कीटाणुओं को बाहर निकालने में यह उपचार सबसे अच्छा और कारगर माना गया है। इसके अलावा जल से भी उपचार किया जाता है।

पंचकर्म क्या होता है

​उल्टी

हमें रोगी को इमेटिक दवाएं और काढ़ा दिया जाता है। इससे उबकाई आती है मरीज को उल्टी होती है। इससे शरीर की गंदगी बाहर निकालने का काम होता है। इसमें वजन बढ़ना, अस्थमा और कफ प्रधान रोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शरीर को डीटॉक्स किया जाता है।

​शुद्धिकरण

इसमें पेट की आंतों की सफाई की जाती है। एक्सपर्ट की निगरानी में बॉडी को दस्त की स्थिति में जड़ी बूटियों की मदद से लाया जाता है। इसे पित्त संबंधित बीमारियों जैसे हर्पीज जोस्टर, पीलिया, कोलाइटिस और सीलिएक रोग के इलाज के लिए किया जाता है।

​नस्य-मानसिक स्वास्थ्य के लिए

इसमें सिर और कंधे के क्षेत्रों में हल्की मालिश और सेंक दी जाती है। इसके बाद नाक के छेदों में तेल या घी डाला जाता है। यह क्रिया मस्तिष्क के क्षेत्र को साफ करने का काम करती है। इससे सिरदर्द, बालों की समस्याओं, नींद की गड़बड़ी, साइनसिसिटिस को ठीक किया जाता है।

बस्ती(अनुवासन/निरुहम)

इसमें कुछ आयुर्वेदिक काढ़े को शरीर के अंदर रखा जाता है। जिसमें तेल, घी या दूध शामिल होते हैं। यह दवा गठिया, बवासीर और कब्ज जैसी वात प्रधान बीमारियों को दूर करती हैं।

रक्तमोक्षण (ब्लड साल्वेशन)

यह थेरेपी मुख्य रूप से रक्त को शुद्ध करने के लिए होता है। यह एक विशिष्ट भाग या पूरे शरीर पर किया जा सकता है। यह उपचार सोरायसिस और डर्मेटाइटिस जैसे त्वचा रोगों और फोड़े और रंजकता जैसे स्थानीय घावों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।

PM मोदी ने किया था शिलान्यास

29 अक्टूबर को एक वर्चुअल कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रायपुर में बनने वाले सेंटर का शिलान्यास किया है। जल्द ही इस प्रोजेक्ट में कंस्ट्रक्शन का काम शुरू होगा। इसे केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (CRIYN) नाम दिया गया है। यहां प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े शोध भी होंगे। इसे 24 महीने में तैयार किया जाएगा।

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