अमित शाह का पलामू में राहुल गांधी पर हमला: बोले- “हमारी सरकार बनी तो बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकालकर झारखंडी युवाओं को नौकरी देंगे”

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झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 43 सीटों का प्रचार अंतिम दौर में आ गया है। शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह ने पलामू में कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा- ये सरकार (हेमंत) अपने वोट बैंक के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को बढ़ावा दे रही है। ये झारखंड के युवाओं की नौकरी खा जा रहे हैं। हमारी सरकार बना दो, हम सभी घुसपैठियों को खदेड़ देंगे।

अमित शाह ने कहा- हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देंगे। ये कांग्रेस वाले महाराष्ट्र में 10% मुस्लिमों को आरक्षण देने के पक्ष में हैं। मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूं कि अगर ये आरक्षण देंगे तो कम किसका होगा? दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों का होगा। इस दौरान उन्होंने भाजपा के संकल्प पत्र का उल्लेख कर अपने वादों का दोहराया।

उन्होंने कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर जमकर हमला बोला। जनता से अपील करते हुए कहा कि आप 350 करोड़ रुपए लूटने वाले को सबक सीखा दो। हम आपको सुखद प्रदेश देंगे।

पलामू प्रमंडल की छतरपुर विधानसभा सीट से भाजपा की पुष्पा देवी उम्मीदवार हैं, जो पूर्व मंत्री मनोज कुमार की पत्नी हैं। इसके बाद अमित शाह उतरी छोटानागपुर के हजारीबाग और फिर कोल्हान के पोटका में जनसभा करेंगे। हजारीबाग से भाजपा के प्रदीप प्रसाद प्रत्याशी हैं। वहीं, पोटका से पूर्व CM अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा चुनाव लड़ रही हैं।

जमशेदपुर में करेंगे रोड शो

अमित शाह जमशेदपुर में रोड शो भी करेंगे, जो दो विधानसभा (जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिम) में होगा। जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा प्रत्याशी पूर्णिमा साहू मैदान में हैं, जो पूर्व CM और ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू हैं। जबकि, जमशेदपुर पश्चिम से NDA के सहयोगी JDU नेता सरयू राय चुनाव लड़ रहे हैं।

शाह का रोड शो जुबिली पार्क गेट से शुरू होकर भालुबासा चौक पर जाकर समाप्त होगा। इन सभी इलाकों में पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान होगा।

जहां अमित शाह रोड शो और जनसभा करेंगे, वहां की राजनीति समझिए
उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में सात जिले हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, रामगढ़, चतरा, धनबाद और बोकारो हैं। यहां विधानसभा की 25 सीटें हैं। इनके नतीजे सरकार बनाने में निर्णायक साबित होते हैं। यहां जाति-धर्म के बूते पार्टियां वोटरों को साधने का प्रयास करती हैं।

पिछली बार यानी 2019 में 25 सीटों में से भाजपा 11, कांग्रेस 5, झामुमो 4, राजद, JVM, आजसू, माले और निर्दलीय ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की थी। इस साल भाजपा में JVM का विलय हो चुका है और आजसू गठबंधन में चुनाव लड़ रहा है। एरिया की सामाजिक संरचना भाजपा के लिए थोड़ी राहत देने वाली है।

जातीय समीकरण : कुर्मी, भूमिहार, आदिवासी, मुस्लिम और अन्य पिछड़ी जातियों का राजनीतिक प्रभाव भी सीटों का परिणाम तय करने में अहम रहेगा। राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका वाले मुद्दों के अलावा जातीय और क्षेत्रीय मुद्दे भी चुनाव का परिणाम प्रभावित कर सकते हैं।

हजारीबाग में राजपरिवार ने चुनाव से किया किनारा तो भाजपा ने मारी बाजी
हजारीबाग विधानसभा क्षेत्र से 1952 से 1952 तक राजपरिवार के दो सदस्य कामाख्या नारायण सिंह और बसंत नारायण सिंह विधायक चुने गए थे। इसके बाद हजारीबाग से कोयरी महतो के उम्मीदवारों ने सात बार जीत दर्ज की। 1962 में पहली बार ज्ञानी राम ने कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाई। इसके बाद रघुनंदन राम और देवदयाल कुशवाहा ने तीन-तीन बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1967 में बिहार के तात्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय यहां से चुनाव हार गए थे।

2005 और 2009 में जब राजपरिवार का सदस्य चुनाव मैदान में उतरा तो फिर से जीत गया। राजपरिवार के सौरभ नारायण सिंह ने दो बार चुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद वह 2014 में चुनाव से पीछे हट गए, तब भाजपा के मनीष जायसवाल ने जीत का परचम लहराया। जायसवाल दो बार लगातार चुनाव जीते हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में वह सांसद बन गए हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में हजारीबाग सीट से भाजपा को बढ़त मिली थी।

पलामू प्रमंडलः NDA और ‘INDIA’ में कांटे की टक्कर
पलामू प्रमंडल में तीन जिले हैं। पलामू, लातेहार और गढ़वा। विधानसभा की 9 सीटें हैं। इसमें 6 सीटें सामान्य हैं। दो सीटें SC और एक ST के लिए आरक्षित हैं। ये सीटें हैं मनिका, लातेहार, पांकी, छतरपुर, डालटनगंज, विश्रामपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर।

सभी विधानसभा क्षेत्रों में जात-पात की राजनीति का काफी प्रभाव है। मनिका को छोड़ लगभग अन्य सीटों पर बिहार स्टाइल की जातिगत राजनीति होती है। चुनावी समीकरण की स्थिति यह है कि 9 में से 6 सीटों पर पिछले चुनाव की तरह इस बार भी मुख्य प्रतिद्वंदी NDA और INDIA का मुकाबला है। ये सीटें हैं लातेहार, पांकी, डालटनगंज, विश्रामपुर, गढ़वा और भवनाथपुर। वहीं, मनिका, छतरपुर और हुसैनाबाद में नया समीकरण बन सकता है। खास बात है कि किसी भी दल ने अपने वर्तमान विधायक का टिकट नहीं काटा है। फिलहाल, दोनों गठबंधन बराबरी पर नजर आ रहे हैं।

कोल्हान की राजनीति को समझिए…
अमित शाह कोल्हान के जमशेदपुर में रोड शो और पोटका में जनसभा करेंगे, जो भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हवा का रुख बता रहा कि राज्य के इसी हिस्से में सबसे तीखी लड़ाई लड़ी जाएगी। ऐसा इसलिए कि कोल्हान का रुख ही तय कर देता है कि किसकी सत्ता आएगी, किसकी जाएगी। 2019 का विधानसभा चुनाव नजीर है। कोल्हान में NDA का खाता नहीं खुला तो सरकार चली गई। सत्ता के दावेदार दोनों गठबंधनों को कोल्हान की अहमियत का एहसास है।

कोल्हान में गठबंधन तोड़ना भाजपा को पड़ा था महंगा
कोल्हान एरिया में 2019 में BJP का आजसू से गठबंधन तोड़ने का फैसला महंगा साबित हुआ, क्योंकि बाद में उसने पांच सीटों पर जीत का अंतर से ज्यादा वोट हासिल किए। वोट शेयर के हिसाब से BJP ने 29%, JMM-कांग्रेस गठबंधन ने 42%, आजसू ने 8%, और JVM (P) ने चार प्रतिशत वोट हासिल किया था। 

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