कांग्रेस पार्टी ने 3 दिसंबर यानी मतगणना के दिन के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। आज से 30 नवंबर तक सभी जिला मुख्यालय संगठन में विधानसभावार मतगणना एजेंट्स की ट्रेनिंग होगी। आज कोंडागांव, जगदलपुर, बेमेतरा, दुर्ग शहर, सारंगढ़, रायगढ़ और मनेन्द्रगढ़ के जिला मुख्यालयों में मतगणना एजेंट्स को ट्रेनिंग दी जा रही है।
ये ट्रेनिंग सभी 90 विधानसभा के अभिकर्ताओं (एजेंट्स) को ये ट्रेनिंग दी जाएगी। इस ट्रेनिंग में मतगणना के दौरान कैसे निगरानी रखनी है, कैसे मशीनवार वोटिंग के नंबर लिखने हैं, कैसे मशीन और गिने गए मतों का मिलान करना है, यह सब सिखाया जाएगा।
इस दिन यहां होगी ट्रेनिंग
आज यानि की पहले दिन कोंडागांव, जगदलपुर, बेमेतरा, दुर्ग शहर, सारंगढ़, रायगढ़ और मनेन्द्रगढ़ में ट्रेनिंग होगी। 28 नवंबर को दंतेवाड़ा, राजनांदगांव, मरवाही और कुनकुरी में यह कार्यक्रम रखा गया है। 29 नवंबर को कांकेर और अंबिकापुर जिले के अभिकर्ताओं की ट्रेनिंग होनी है। 30 नवंबर को बालोद, राजिम, महासमुंद, भिलाई 3, रायपुर, जांजगीर-चांपा, सक्ती, बिलासपुर, कवर्धा, कोरबा और प्रतापपुर में ट्रेनिंग होगी। केवल धमतरी ऐसा जिला है, जहां 2 दिसंबर को ट्रेनिंग होगी।
क्या होता है मतगणना अभिकर्ता का काम?
मतगणना अभिकर्ता (एजेंट्स) उस शख्स को कहा जाता है, जो काउंटिंग के दौरान किसी पार्टी की ओर से मौजूद रहता है। उसे पहले से ही उसकी मशीन और टेबल का नंबर बता दिया जाता है। वो मतगणना की पूरी प्रक्रिया के दौरान वहां मौजूद रहता है। ये सभी पार्टी की ओर से नियुक्त किए जाते हैं।
अभिकर्ता मतगणना के दौरान होने वाली सभी गतिविधियों पर अपनी पार्टी की ओर से नजर रखने वाला व्यक्ति होता है। जब तक उसे मिले टेबल पर गिनती चलती रहती है, तब तक वो वहीं मौजूद रहता है।
कांग्रेस में दो ARO समेत मौजूद रहेंगे एजेंट
कांग्रेस ने हर विधानसभा में 2 ARO और 14 काउंटिंग एजेंट बनाया है। इनमें एक बैलेट पेपर एजेंट रहेगा, जो बैलेट पेपर की गिनती खत्म होने के बाद एआरओ की भूमिका में आ जाएगा। राजधानी रायपुर के सभी एआरओ और मतगणना एजेंटों को 30 नवंबर को ट्रेनिंग की जाएगी। कांग्रेस भवन में होने वाली इस ट्रेनिंग में पीसीसी के पदाधिकारियों के अलावा जिला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे।
कंट्रोल रूम से लगातार मॉनिटरिंग
राजीव भवन में बनाए गए कंट्रोल रूम की टीम को मतगणना के दिन के लिए सुबह से तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। टीम के सदस्यों को विधानसभावार जानकारी लेकर हर राउंड के बाद जानकारी पीसीसी में अपडेट करने के निर्देश जारी किए गए हैं। सुबह 7 बजे से टीम देर रात तक तैनात रहेगी।
इस तरह होती है वोटों की गिनती
वोटों की गिनती इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट और पोस्टल बैलट से शुरू होगी। इसके आधे घंटे बाद ईवीएम में वोटों की गिनती शुरू हो सकती है। चाहे पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी क्यों न हुई हो। जब 14 ईवीएम में डाले गए वोट गिन लिए जाते हैं, तो उसे एक राउंड माना जाता है। हर राउंड पर निगाह जमी रहती है।
संभालकर रखा जाता है डेटा
वोटों की गिनती के बाद उसे कंट्रोल यूनिट मेमोरी सिस्टम में सेव करके रखा जाता है। यह डेटा तब तक रहता है, जब तक इसे डिलीट न किया जाए। गिनती की जिम्मेदारी चुनाव पदाधिकारी यानी रिटर्निंग ऑफिसर की होती है। रिटर्निंग ऑफिसर स्थानीय अधिकारी को बनाया जाता है।