भगवान बिरसा मुंडा: धर्म और संस्कृति के संरक्षक

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भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी छोटी सी उम्र में जनजातीय समाज, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए जो असाधारण कार्य किए, वे आज भी हमें प्रेरित करते हैं। उनका जीवन स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का प्रतीक बन गया। 25 वर्ष की अल्पायु में उनकी मृत्यु हुई, लेकिन उन्होंने अपनी क्रांतिकारी सोच और जनजातीय समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए देश में एक नई दिशा दिखाई। उनका योगदान सिर्फ झारखंड तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे भारत में एक समृद्ध जनजातीय संस्कृति की नींव रखने का काम किया। उनकी प्रेरणा आज भी हमें अपनी धार्मिकता, संस्कृति और स्वदेश की रक्षा के प्रति जागरूक बनाती है।

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