कौशल स्वर्णबेर छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू हुई और सातों सीमावर्ती राज्यों ओड़िशा, मध्यप्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्यप्रदेश और कभी-कभार उत्तरप्रदेश से तस्करी का धान यहां बेचने से रोकने के लिए सभी सीमावर्ती जिलों में हाईवे से लेकर ग्रामीण सड़कों और कच्चे रास्तों तक निगरानी शुरू कर दी गई है। अब तक प्रमुख और ग्रामीण सड़कों को मिलाकर पूरे बार्डर पर 200 से ज्यादा चेकपोस्ट लगा दिए गए हैं। इनमें पुलिस के साथ-साथ राजस्व-खाद्य विभाग का अमला और कोटवार-पंचायत सचिव भी लगाए गए हैं। गरियाबंद में देवभोग, अंबिकापुर, रायगढ़, महासमुंद और कवर्धा में छापेमारी शुरू हो गई है।
अब तक सभी जगह से लगभग 1 हजार क्विंटल ऐसा धान जब्त होने की सूचना है, जो बाहरी राज्यों से कोचिए लेकर आए थे तथा बेचने की फिराक में थे। इन्हें जिन गाड़ियों में लाया गया, उन्हें भी जब्त कर लिया गया है। दरअसल हर साल धान खरीदी शुरू होने के साथ छत्तीसगढ़ शासन ने हर कलेक्टर को उनके सीमावर्ती गांवों में चेकपोस्ट बनाने और जांच के निर्देश दिए थे। छत्तीसगढ़ से लगे सात राज्यों की सीमाओं पर गांवों तक को जोड़नेवाली सड़कों पर नजर रखी जा रही है। आचार संहिता के दौरान बार्डर पर जांच सख्त नहीं होने से काफी धान यहां लाकर स्टोर करने की सूचनाएं हैं, इसलिए गांवों में भी छापेमारी शुरू की गई है। शेष|पेज 7
अंबिकापुर से देवभोग तक छापेमारी
गरियाबंद जिले में आेडिशा की सीमा से लगे देवभोग, उरमाल, गोहरापदर इलाके में तस्करी का धान रोकने के लिए एसडीएम समेत राजस्व विभाग की टीमें ताबड़तोड़ छापे मार रही हैं। अब तक तीन पिकअप वैन से 525 बोरी धान जब्त किया जा चुका है। इसी तरह, गौरेला पेंड्रा-मरवाही जिले के देवरगांव में हाल में 295 क्विंटल तथा पुरानी बस्ती पेंड्रा में अवैध भंडारण का 24 क्विंटल धान जब्त किया गया है।
अंबिकापुर कलेक्टर की सूचना पर उड़नदस्ते ने प्रतापपुर नाके पर छापा मारकर 500 बोरी धान से भरा ट्रक पकड़ा है। महासमुंद जिले के सरायपाली, बसना, पिथौरा, बागबाहरा, कवर्धा जिले में एमपी सीमा पर 15 चेकपोस्ट, राजनांदगांव में 12, बेमेतरा में आधा दर्जन, मुंगेली में 5, बलरामपुर में 13, बस्तर संभाग के सभी सात जिलों में लगभग 35, धमतरी में 5 और रायगढ़ में 13 चेकपोस्ट पर जांच शुरू कर दी गई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक प्रदेशभर में धान के लिए अभी 200 से ज्यादा चेकपोस्ट पर जांच चल रही है।
ऐसे समझिए – धान की तस्करी क्यों और कितना लाभ…
तस्करी इसलिए… तस्करी इसलिए… सीमावर्ती राज्यों में धान के समर्थन मूल्य और बोनस को मिलाकर प्रति क्विंटल 500 से 750 रुपए तक का अंतर है। इस साल सरकार अधिकतम 3200 रुपए क्विंटल में धान खरीदेगी, इसलिए अंतर और बढ़ जाएगा। पड़ोसी राज्यों में धान का समर्थन मूल्य लगभग 2200 रुपए क्विंटल ही है। इसलिए सीमावर्ती जिलों के किसान छत्तीसगढ़ में धान बेचना चाहते हैं, ताकि उन्हें दो-तीन सौ रुपए का लाभ हो। यहां भी कोचिए ग्रामीणों के खातों में यह धान बिकवाकर बोनस की राशि उन्हें देते हैं। इस तरह, सीमा के उस पार और इस पार, तस्करी में दोनों को लाभ हो रहा है।
ऐसे एडजस्ट… कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश इलाकों में धान की पैदावार उतनी नहीं है, जितना प्रति एकड़ अभी खरीदा जा रहा है। कांग्रेस अभी प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीद रही है। भाजपा ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने का वादा घोषणापत्र में किया है। छत्तीसगढ़ में अच्छी पैदावार पर प्रति एकड़ धान का औसत 16 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ है। जाहिर है, किसान के खाते में 2 से 3 क्विंटल अतिरिक्त धान बेचने की गुंजाइश बच जाती है। कोचिए इसी तरह बाहर का धान बिकवा देते हैं। इसमें बोनस उसी किसान को मिलता है, इसलिए उसे भी बेचने में आपत्ति नहीं रहती।
सड़कों से गांवों तक जांच
सीमावर्ती राज्यों से लगे यहां के जिलों में चेकपोस्ट लगाकर धान रोक रहे हैं। गरियाबंद, महासमुंद, बलरामपुर समेत सभी जिलों में अंदरूनी सड़कों से लेकर ग्रामीण रास्तों पर छापेमारी शुरू कर दी गई है। -टोपेश्वर वर्मा, सचिव-खाद्य विभाग
धान को भीगने से बचाएं: सीएम
सीएम भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को खरीदी केंद्रों में रखे धान को भीगने से बचाने के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। अभी केंद्रों में 9 लाख टन धान हैं। सीएम ने कहा कि इन्हें ढंकने कैपकवर का इंतजाम करें।