अरपा नदी की 60% तक सफाई संभव: हाईकोर्ट ने निगम का शपथ-पत्र खारिज कर विस्तृत कार्ययोजना बनाने का आदेश दिया

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अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन से जुड़ी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने नगर निगम के जवाब को खारिज कर दिया है। निगम ने कहा था कि वह नदी के केवल 60% पानी का ट्रीटमेंट कर सकता है, जबकि शेष 40% गंदा पानी बिना साफ किए नदी में छोड़ा जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताते हुए निगम को विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। अब मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।

उद्गम स्थल संरक्षण पर काम जारी

पिछली सुनवाई में जल संसाधन विभाग ने बताया था कि अरपा नदी के उद्गम स्थल को संरक्षित करने का कार्य जारी है। राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए धनराशि स्वीकृत की है। इसके तहत आसपास के क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा और कुंड का निर्माण भी किया जाएगा।

40% गंदे पानी की सफाई पर सवाल

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने पाया कि नगर निगम की योजना में 40% गंदे पानी की सफाई का कोई प्रावधान नहीं है। बेंच ने निगम से इस विषय पर जवाब मांगा, लेकिन संतोषजनक उत्तर न मिलने पर निगम का शपथ-पत्र नामंजूर कर दिया।

विस्तृत कार्ययोजना का निर्देश

हाईकोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिया कि वह विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर, उसमें सभी पहलुओं का समाधान पेश करे। इस रिपोर्ट को अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाएगा।

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