लखनऊ में आयोजित अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि वह कुशल रणनीतिकार, पराक्रमी और युद्धकला में निपुण थीं। उनका जीवन यह संदेश देता है कि पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर सादगी और निष्ठा के साथ समाज के लिए कार्य किया जा सकता है।
आलोक कुमार ने कहा कि अहिल्याबाई के शासनकाल में पेंशन जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन उन्होंने सैनिकों के आश्रितों के लिए रोजगार और आर्थिक सहायता का प्रावधान किया। उन्होंने विधवा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए महेश्वर में साड़ी उद्योग की शुरुआत की, सिंचाई के साधन विकसित किए और किसानों की उपज बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने राजस्थान से पत्थर तराशने वाले कारीगरों को बसाकर उन्हें जमीन दी। उनकी सादगी और त्याग का यह उदाहरण है कि एक साम्राज्ञी होते हुए भी वह सामान्य जीवन जीती थीं और जनता की भलाई में अपना पूरा समय समर्पित करती थीं।
कार्यक्रम में अहिल्याबाई के वंशज उदयराजे होलकर ने उनके समरसता और सनातन धर्म के प्रति योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने न केवल महेश्वर राज्य बल्कि पूरे देश में समाज सुधार और धर्म की रक्षा के लिए कार्य किया।
समारोह के दौरान 300 दिव्यांग बच्चों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम स्थल को फूलों, पत्तियों और रंगोली से भव्य रूप से सजाया गया था। अहिल्याबाई के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित प्रदर्शनी ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया, विशेष रूप से महिला सैनिकों का उत्साहवर्धन करती अहिल्याबाई की प्रदर्शनी केंद्र में रही। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्र सेविका समिति की प्रांत कार्यवाहिका यशोधर ने किया, और आभार प्रदर्शन प्रशांत भाटिया ने किया।