अमरजीत भगत बोले-‘3 दिसंबर को किसान होली-दिवाली साथ मनाएंगे; किसानों का भविष्य कांग्रेस के साथ’…!

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छत्तीसगढ़ में 3 दिसंबर को चुनावी नतीजे आएंगे। इसे लेकर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि 3 दिसंबर का सभी को बेसब्री से इंतजार है। इससे पहले तक सभी राजनीतिक पार्टियां दावा कर रही हैं कि उनकी जीत होगी, लेकिन 3 तारीख को जब पिटारा खुलेगा, तो दिखेगा की उसमें किसानों का भविष्य चमक रहा है।

भगत ने कहा कि किसानों का भविष्य कांग्रेस के साथ है। हमने किसानों की कर्ज माफी, ₹3200 धान की कीमत देने की बात कही है। इससे किसानों के दिन फिरेंगे। पूरे हिंदुस्तान में अगर सबसे खुश किसान कहीं है, तो वो छत्तीसगढ़ में है। यहां किसान मालामाल और खुशहाल है, बाकी प्रदेश के किसान बेहाल हैं। नतीजों के दिन किसान दिवाली और होली एक साथ मनाएंगे।

‘छत्तीसगढ़ में धान खरीदी सबसे बड़ा काम’

भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धान खरीदी सबसे बड़ा काम है। प्रदेश के लगभग 85% लोग खेती किसानी पर निर्भर हैं, यही वजह है कि प्रदेश में धान खरीदी से बड़ा कोई काम नहीं है। उपज को खरीदना, उचित दाम देना, उनके लिए पूरी व्यवस्था करना, ट्रांसपोर्टिंग, मिलिंग ये सब बहुत बड़ा काम है।

उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर के बाद फिर से इस काम को आगे बढ़ाएंगे। अभी कोई नीतिगत फैसला 3 तारीख तक नहीं लिया जा सकता है। हमारी हमेशा कोशिश रही है कि धान खरीदी में कहीं कोई दिक्कत न हो। सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात हुई थी उन्होंने भी यही दिशा निर्देश दिए थे।

‘बीजेपी केवल ठगने का काम करती है’

भगत ने कहा कि बीजेपी के बयान थोथले हैं, उनके बयान में कोई दम नहीं है। कर्ज माफी हम कर रहे हैं और इंतजार इनका किया जाएगा। ये लोग केवल ठगने का काम करते हैं। जब उनकी पार्टी फंसती हुई नजर आती है, तब छत्तीसगढ़ के लोगों को झांसा देने आ जाते हैं। इन्होंने कहा था कि आदिवासियों को हम जर्सी गाय देंगे, आदिवासी भाई आज भी इंतजार कर रहे हैं।

‘बीजेपी वाले केवल वादें करते हैं’

उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोगों ने किसानों से खूब वादा किया था, कहा था डीजल निकलेगा बाड़ी से, पूरे छत्तीसगढ़वासी खोजते रह गए। धरातल में सड़क ना बना कर, स्काईवाक बनाने चले थे, जनता ने इन्हें इनकी जगह बता दी। इसलिए इनकी बयानबाजी में कोई दम नहीं है।

‘आरक्षण बीजेपी को रास नहीं आ रहा है’

मंत्री भगत का कहना है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में आरक्षण बिल पारित कराया। आदिवासियों को 32%, पिछड़ा वर्ग को 27%, अनुसूचित जाति को 13%, EWS, आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 4% आरक्षण इनको रास नही आया ।

यह सीधे तौर पर तो रोक नहीं सकते थे इसलिए राज्यपाल के माध्यम से इन्होंने रोकने का पूरी कोशिश की। जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश में आरक्षण लटकाने में बीजेपी ने अग्रणी भूमिका निभाई है।

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