बुधवार दोपहर रायपुर के सेरीखेड़ी इलाके में बाघ देखे जाने की खबर ने दहशत फैला दी। वॉट्सएप पर बाघ की तस्वीरें वायरल होने लगीं, जिनके बारे में दावा किया गया कि वे इसी इलाके की हैं। स्थानीय लोग घबरा गए और तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने वन विभाग को अलर्ट किया, जिसके बाद दोनों विभागों ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया।
हालांकि, घंटों की तलाश के बाद वन विभाग ने पुष्टि की कि यह महज एक अफवाह थी। वन विभाग के अधिकारी डीएफओ लोकनाथ पटेल ने बताया कि इलाके में किसी बाघ की उपस्थिति नहीं मिली। यह अफवाह एक सुन-बोल न सकने वाली बच्ची के कथित इशारे से फैली थी, जिसने मोबाइल पर बाघ की तस्वीर दिखाकर संकेत दिया।
वन विभाग ने इसे फेक न्यूज करार दिया और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह घटना कोई पहली बार नहीं हुई है; दो महीने पहले भी रायपुर में बाघ दिखने की झूठी खबर फैलाई गई थी।
असल बाघ की मौजूदगी
रायपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर बलौदाबाजार जिले के कलडोल इलाके में 8 दिन पहले एक भटकता हुआ बाघ पाया गया था। इसे 9 घंटे की मशक्कत के बाद सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया।
टाइगर रिजर्व से जुड़ी खुशखबरी
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तैमोर पिंगला अभयारण्य को मिलाकर गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व घोषित किया, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन गया है।