शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बयान: ‘बटोगे तो कटोगे’ नारा अनुचित, पूछा- अब तक किसने काटा?

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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- ‘बटोगे तो कटोगे’ नारा लोकतंत्र के लिए खतरा

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ‘बटोगे तो कटोगे’ नारे की तीखी आलोचना की। उन्होंने रायपुर में कहा कि यह नारा 2024 में क्यों दिया जा रहा है? इतने सालों से चुनाव हो रहे हैं, क्या अब तक हम सुरक्षित नहीं थे? उन्होंने सवाल उठाया कि इस नारे के जरिए क्या यह धमकी दी जा रही है कि अगर वोट नहीं दिया तो हमें नुकसान पहुंचाया जाएगा?

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि धमकी देकर वोट नहीं लिया जा सकता। यह नारा लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पर जताई चिंता
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए शंकराचार्य ने कहा कि भारत को इन हिंदुओं को शरण देनी चाहिए क्योंकि यह उनकी मात्रभूमि है। उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सत्ता आपके पास है तो प्रदर्शन क्यों?

धर्मांतरण और जाति-प्रथा पर भी रखी राय
धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने बस्तर में हो रही धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा को गलत ठहराया और कहा कि यह धर्मांतरण को बढ़ावा देगी। उन्होंने हिंदू राष्ट्र की अवधारणा पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा हिंदू राष्ट्र जिसमें वर्ण और आश्रम की परंपरा खत्म हो, वह खतरनाक होगा।

महाराष्ट्र चुनाव और गौ माता का मुद्दा
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार की जीत को शंकराचार्य ने गौ माता का आशीर्वाद बताया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गौ माता को राज्य माता का दर्जा देने में उनकी हिचकिचाहट आने वाले चुनावों में महंगी पड़ सकती है।

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