छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। यहां के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें एक महिला भी शामिल है। यह आत्मसमर्पण “नियद नेल्ला नार” योजना और राज्य सरकार की नक्सलवाद उन्मूलन और पुनर्वास नीति की सफलता को साबित करता है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में शामिल हैं:
- माड़वी राजू (आरपीसी मिलिशिया सदस्य)
- माड़वी देवा (मिलिशिया सदस्य)
- सुन्नम व्यक्टेंश (मिलिशिया सदस्य)
- कवासी हड़मा (ईरपा मिलिशिया सदस्य)
- सोड़ी गंगा (आरपीसी मिलिशिया सदस्य)
- सोड़ी सुखमती उर्फ सुकरी (आरपीसी मेडिकल सदस्य)
- ओयम एंका (डीएकेएमएस उपाध्यक्ष)
ये सभी नक्सली सुरक्षा बलों के समक्ष बिना हथियार आत्मसमर्पण किए और अब पुनर्वास नीति के तहत उन्हें सहायता और सुविधाएं मिलेंगी।
सुकमा जिले के करकनगुड़ा और भीमापुरम में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच एक मुठभेड़ भी हुई। यह मुठभेड़ उस समय हुई जब 223 सीआरपीएफ, 206 कोबरा वाहिनी और जिला बल की टीम नक्सल गश्त और सर्चिंग अभियान पर थी। 4 दिसंबर को दोपहर के समय शुरू हुई इस मुठभेड़ में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया। मुठभेड़ के दौरान भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और अन्य नक्सली सामग्रियां बरामद की गईं, जो यह दर्शाती हैं कि नक्सली सुरक्षा बलों पर बड़ा हमला करने की योजना बना रहे थे।
इसके साथ ही, राज्य सरकार की “नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति” और “नियद नेल्ला नार” योजना के तहत नक्सलियों का आत्मसमर्पण एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है, जो यह बताता है कि अब वे समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए तैयार हैं।
इस आत्मसमर्पण और मुठभेड़ में मिली सफलता यह दर्शाती है कि नक्सली संगठनों की ताकत अब कमजोर हो रही है और सरकार तथा सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता के साथ, जल्द ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और स्थिरता स्थापित होने की उम्मीद है।