छत्तीसगढ़ में विधानसभा, लोकसभा और रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव के दौरान अपनाए गए चुनावी तरीकों को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने इन चुनावों के प्रबंधन पर रिपोर्ट मंगवाकर इसकी सराहना की है और इन नवाचारों को दूसरे राज्यों में आम चुनावों में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
राज्य में विशेष रूप से रायपुर जिले में चुनाव प्रचार की नई शैली को लेकर दिल्ली तक चर्चा हुई, जिसके बाद यह पहल शुरू हुई। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने मतदान दलों की प्रशिक्षण प्रक्रिया पर खास ध्यान दिया ताकि चुनाव पारदर्शी और सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
पारंपरिक रूप से, मतदान दलों को चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित गाइडलाइनों वाले बुकलेट दिए जाते थे, लेकिन इस बार रायपुर जिले में चुनाव प्रक्रिया की ट्रेनिंग के लिए ऑडियो-वीडियो सामग्री का इस्तेमाल किया गया। शॉर्ट फिल्में बनाई गईं और मतदान दलों को सम्मानित करने के लिए उन्हें फूल भी दिए गए। इस पहल से उनका मनोबल बढ़ा और चुनावी कार्यों को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण बना। कलेक्टर गौरव सिंह ने भी प्रमुख लोगों के घरों पर जाकर उन्हें मतदान में भाग लेने का निमंत्रण दिया, साथ ही बाइक और कार रैलियां भी आयोजित कीं।
इस बार चुनावी प्रक्रिया को विजुअल तरीके से समझाया गया। मतदान दलों को बूथ प्रबंधन, ईवीएम का संचालन, टैगिंग, आदि प्रक्रियाओं के बारे में वीडियो के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया। इन्हें मतदान दलों के पीठासीन अधिकारियों के मोबाइल फोन पर अपलोड किया गया, ताकि वे बार-बार इन वीडियो को देख सकें। इससे मतदान दलों का ईवीएम और चुनावी प्रणाली के प्रति आत्मविश्वास बढ़ा।
इन सुधारों के परिणामस्वरूप, विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदान दलों को पहले की तरह समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा। जैसे कि ईवीएम अटकना, कनेक्शन की समस्या, मशीन का न चलना या एरर का दिखना, इनमें 90 प्रतिशत तक कमी आई।