छत्तीसगढ़ के DMF घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को विशेष अदालत में 7,000 से अधिक पन्नों का चालान पेश किया। इसमें निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, राज्य प्रशासनिक अधिकारी माया वारियर, और NGO के सचिव मनोज कुमार द्विवेदी सहित 16 आरोपियों के नाम शामिल हैं, और कुछ कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है।
ED के चालान में 169 पन्नों का प्रॉसिक्यूटर कंप्लेंट (सारांश) शामिल है। इस मामले में मनोज कुमार द्विवेदी, जो पहले से हिरासत में हैं, को 4 दिन की रिमांड पूरी होने के बाद ED ने कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद उसे 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।
जांच में सामने आया कि 2021-22 और 2022-23 में मनोज कुमार द्विवेदी ने निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू और अन्य अधिकारियों से मिलीभगत कर अपने NGO, उदगम सेवा समिति, के माध्यम से DMF के कई ठेके हासिल किए। इसके बदले उन्होंने अधिकारियों को 42% तक कमीशन दिया।
ED ने यह भी पाया कि द्विवेदी ने DMF फंड की हेराफेरी कर 17.79 करोड़ रुपए का गबन किया, जिसमें से 6.57 करोड़ रुपए उसने खुद रख लिए, और बाकी रकम अधिकारियों को रिश्वत के रूप में दी। इसके अलावा, ED ने कई स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें 2.32 करोड़ रुपए नगद, दस्तावेज, डिजिटल एफिडेविट, बैंक बैलेंस और पासबुक जब्त की गई।
इससे पहले, ED ने रानू साहू और माया वारियर को गिरफ्तार किया था। DMF घोटाले में शामिल अधिकारी और बिचौलियों ने मिलकर टेंडर के लिए अतिरिक्त बिल बनाए और सरकारी पैसे का गबन किया।
ED की जांच में यह भी सामने आया कि DMF घोटाले में अधिकारियों ने टेंडर की राशि का 40% तक कमीशन लिया, जबकि प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% कमीशन लिया गया।