मानवाधिकार दिवस: बंदर और कुत्तों के आतंक से लेकर पत्नी द्वारा सताए जाने तक के मामलों में आयोग में शिकायतें; 311 लोगों ने सामाजिक बहिष्कार से मुक्ति के लिए की अपील..!

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प्रदेश में मानवाधिकार आयोग में न्याय की तलाश में आने वाले फरियादियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन मामलों में अधिकांश वे हैं, जिनमें लोगों को संविधान द्वारा दिए गए उनके अधिकारों से वंचित किया गया है। इसके अलावा सामाजिक बहिष्कार, पुलिस उत्पीड़न, हिरासत में मौत, भूमि विवाद और टोनही प्रताड़ना जैसे मामलों की भी शिकायतें मिल रही हैं।

आवेदनों में पत्नी द्वारा प्रताड़ना, बंदरों के आतंक से मुक्ति, और दूसरे देशों की नागरिकता पाने के लिए मदद की अपील की गई है। दुर्ग के वकील कौशल किशोर सिंह ने बेसहारा और पागल कुत्तों के कारण फैल रही दहशत के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में आवेदन दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि कुत्तों के आतंक से बच्चों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।

राज्य गठन के बाद से आयोग ने लगभग 25 हजार मामलों का निपटारा किया है, जिनमें गंभीर और संवेदनशील मामलों में न्याय न मिलने के 593 केस, पुलिस से संबंधित 412 मामले, भूमि विवाद के 387 मामले और सामाजिक बहिष्कार के 311 केस शामिल हैं। रोचक मामलों में बंदरों के उत्पात से परेशान लोगों ने आयोग में 1761 आवेदन किए हैं।

आयोग में आवेदन करने के लिए वकील की आवश्यकता नहीं है और बिना किसी शुल्क के लोग अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग 16 अप्रैल 2001 को स्थापित हुआ था, और हाल ही में इसने नारायणपुर जिले के एकलव्य स्कूल में बच्चों के टॉयलेट में बैठकर पढ़ाई करने के मामले पर संज्ञान लिया है और जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है।

आयोग विशेष रूप से बुजुर्गों के मामलों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, ताकि उन्हें जीवन के अंतिम पड़ाव में बुनियादी सुविधाएं, संपत्ति और पेंशन से वंचित न किया जाए। इसके अतिरिक्त, आयोग ने पिछले तीन वर्षों में टोनही प्रताड़ना के 11 मामलों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 5 फर्जी एनकाउंटर की शिकायतें भी प्राप्त की हैं, जिनमें से दो मामले जांच के बाद सही पाए गए हैं।

आयोग में आवेदन शुल्क नहीं लगता और किसी भी व्यक्ति को निशुल्क अपनी शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। कार्यवाहक अध्यक्ष गिरधारी नायक ने कहा कि आयोग मानवाधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और लोगों को स्वतंत्रता, समानता और गरिमामय जीवन जीने का अधिकार दिलाने में कार्यरत है।

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