राज्य सरकार ने गुरुवार को सीनियर आईपीएस अधिकारी एडीजी जीपी सिंह को बहाल कर दिया है, और इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है। 2021 में राजद्रोह, भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामलों में संलिप्तता के आरोपों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। इसके बाद, सरकार ने उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अनुशंसा केंद्र सरकार को भेजी थी।
जुलाई 2023 में केंद्र सरकार ने उनकी सेवा समाप्त कर दी और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। इस आदेश को जीपी सिंह ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में चुनौती दी। कैट ने केंद्र के आदेश को गलत ठहराया और जीपी सिंह की बहाली का आदेश दिया। इसके बाद, केंद्र सरकार ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन कोर्ट ने कैट के आदेश को सही ठहराया और केंद्र की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट में भी इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई, जिसमें 10 दिसंबर को कोर्ट ने केंद्र की अर्जी को खारिज कर दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र से अनुमति लेकर जीपी सिंह की बहाली का आदेश जारी किया है।
अब जीपी सिंह बहाल होने के बाद छत्तीसगढ़ में डीजी (पुलिस) के पद के लिए प्रतिस्पर्धा में शामिल हो जाएंगे। राज्य में एक डीजीपी और तीन डीजी पद हैं। इस वर्ष आईपीएस पवन देव, अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता को डीजी के पद पर प्रमोट किया गया है। फरवरी 2025 में वर्तमान डीजी अशोक जुनेजा के रिटायर होने के बाद, एडीजी एसआरपी कल्लूरी और जीपी सिंह डीजी के पद के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे।
यह कार्रवाई 2021 में तब शुरू हुई थी जब एसीबी और ईओडब्ल्यू ने जीपी सिंह के घर और उनके करीबी लोगों के यहां छापेमारी की थी। छापों में 10 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति बरामद हुई थी। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने रायपुर पुलिस को प्रतिवेदन दिया, और उसी आधार पर कोतवाली पुलिस ने जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था।