25 लाख रुपए में तस्करों ने बेची बाघ की खाल; गिरोह के 8 में से 2 गिरफ्तार, शिकार छ.ग., म. प्र., ओडिशा और महाराष्ट्र के जंगलों में…!

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25 लाख रुपए में बाघ की खाल बिक रही है। गढ़चिरौली में 28 नवंबर की रात ढाई बजे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ की टीम और मीडिया की टीम साथ तस्करों का आमना-सामना हुआ तो यही सौदा हुआ। तस्करों ने नोटों से भरे बैग की दो गडि्डयां गिनी और बाघ की खाल सौंप दी। ऐसा संभवत: पहली बार हुआ कि बाघ की खाल के सौदे को किसी मीडिया ने लाइव कवर किया। अब टारगेट थे तस्कर। सौदे के ढाई मिनट बाद टीम ने तस्करों को दबोचने की कोशिश की।

वे संख्या में सामने तो आठ थे, लेकिन बैकअप में और कितने लोग हैं इसकी जानकारी टीम के पास नहीं थी। लगभग पांच मिनट तक संघर्ष चला। टीम को जब लगा कि ये हथियार इस्तेमाल कर सकते हैं तो वन विभाग की टीम के एक साथी ने हवाई फायर किया। मौके का फायदा उठाकर 6 तस्कर भाग खड़े हुए। लेकिन टीम ने दो सदस्यों को पकड़ने में कामयाबी हासिल की। उन्होंने मीडिया को बताया कि बाघ को फंदा लगाकर मारा।

इसके बदले उन्हें डेढ़ लाख रुपए मिलते। उन्होंने ये भी बताया कि तस्करों के 1-2 नहीं बल्कि कई इंटरस्टेट ग्रुप सक्रिय हैं, जो इनका शिकार करते हैं। अपनी मुंह मांगी कीमतों में खाल, नाखून, मूंछ के बाल बेचते हैं। जो तस्कर भागने में कामयाब रहे उनके पास एक और खाल है। ऐसे कई तस्कर अंतरराज्यीय सीमा क्षेत्रों में न सिर्फ बाघ बल्कि तेंदुआ, पेंग्यूलिन, जंगली सुअरों को मारकर इनके अंगों की तस्करी कर रहे हैं। पकड़े गए तस्कर श्याम नरौटी और अमजद पठान महाराष्ट्र वन विभाग की गिरफ्त में हैं। आगे इन्हें कोर्ट में पेश करेंगे।

ये टीमें मौजूद रही: आईएफएस वरूण जैन, डिप्टी डायरेक्टर उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व। गोपाल कश्यप, नोडल ऑफिसर एंटी पोचिंग टीम। चंद्रबली ध्रुव, सब नोडल। राकेश मार्कंडेय, चुरामन धृतलहरे, विनय पटेल, रोहित निषाद और देवी सिंह। महाराष्ट्र वन विभाग से आईएफएस शैलेष मीणा, डीएफओ। व इनके 5 कर्मचारी।

4-5 साल का बाघ, लंबाई 6 फीट

वन विभाग की टीम ने खाल देखकर बताया कि- फंदा में कमर के ऊपर का हिस्सा फंस गया। बाघ संघर्ष कर रहा होगा, जैसे खाल में निशान से दिख रहा है। इस दौरान ही उसके मुंह में भाला डाला गया। और उसकी मौत हो गई। जब्त खाल से काफी बदबू आ रही थी, यानी खाल नई है व पूरी तरह से सूखी भी नहीं थी। उसकी उम्र 4 से 5 साल की रही होगी। लंबाई 6 फीट है।

प्रदेश में एक साल में तीन खाल ही जब्त, लेकिन 29 बाघ गायब

  • 9 अक्टूबर 2022- कांकेर कोतवाली पुलिस ने 9.5 फीट लंबी खाली पकड़ी। 2 आरोपी गिरफ्तार हुए।
  • 2022- मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ बॉर्डर सूरजपुर जिले में बाघ और तेंदुए की खाल के साथ 6 गिरफ्तारियां।
  • 1 जुलाई 2023- इंद्रावती टाइगर रिजर्व में खाल पकड़ाई। 39 गिरफ्तारी, इनमें 2 पुलिसवाले भी थे।

(2014 में 46 बाघ थे। 2023 में सिर्फ 17 बचे। 29 बाघ या तो लापता हैं या मारे गए।)

आखिर क्यों हो रहा शिकार- इंवेस्टीगेशन के दौरान 3 जवाब मिले

  • 60% मामलों में तंत्र-मंत्र- बाघों की खाल का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र में किया जाता है। इसे झरन कहते है। तांत्रिक दावा करते हैं कि पैसे झड़ते हैं। लोग बाघों को मारने के लिए तस्कर हायर करते हैं।
  • 30% मामलों में पैसा कमान के लिए- तस्कर मोटी रकम कमाने के लिए बाघ, तेंदुआ, पेंगइन का शिकार करते हैं। मारते हैं और बेचते हैं।
  • 10% मामलों में विदेशी लिंक- ऐसे इनपुट हैं कि खाल की नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, चीन सप्लाई हो रही हैं, मगर नेक्सेस एक्सपोज नहीं हुआ है। बतौर पोशाक रूतबे के लिए खाल पहननी जाती है।

पहली प्राथमिकता बाघों को बचाना है। अगर, शिकार हो रहा है तो अपराधिकों को पकड़ना, सजा दिलाना दूसरी प्राथमिकता। गढ़चिरौली में तस्कर लगातार हमारी रेकी कर रहे थे। उनसे पूछताछ जारी है। और भी कई खुलासे होंगे। -वरूण जैन, उप निदेशक, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व एवं इंचार्ज एंटी पोचिंग टीम

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