Surya Gochar 2025: सूर्य देव ने बाघ पर सवार होकर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में किया प्रवेश… इसका आपकी जिंदगी पर होगा ऐसा असर..!

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मकर संक्रांति का पर्व, जो भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है, इस वर्ष 14 जनवरी, बुधवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व खासतौर पर सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश के साथ जुड़ा हुआ है, और इस साल सूर्य देव बाघ पर सवार होकर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर रहे हैं। यह घटना न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर विशेष रूप से देखने को मिलेगा। आइए जानें कि इस दिन सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने का क्या महत्व है और इसके जीवन पर क्या असर हो सकता है।

 

 

मकर संक्रांति और सूर्य देव का महत्व

मकर संक्रांति का पर्व सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, और इसे न सिर्फ एक धार्मिक पर्व के रूप में, बल्कि एक सांस्कृतिक आयोजन के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक होता है, जब सूर्य देव उत्तर दिशा में गति करते हैं और दिन बढ़ने लगते हैं। मकर संक्रांति के दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में उबटन और स्नान करते हैं, फिर भगवान का दर्शन करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। इस दिन का महत्व सनातन धर्म में अत्यधिक है, क्योंकि यह दिन पापों के नाश और पुण्य की प्राप्ति का प्रतीक है।

सूर्य देव, जो कि ज्योतिष शास्त्र में आत्मा के प्रतीक माने जाते हैं, मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे खासतौर पर शुभ और सकारात्मक माना जाता है। इस दिन का मकर संक्रांति के रूप में पर्व रूपी आयोजन होता है, और इसे पूरे देश में उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है।

 

सूर्य देव का बाघ पर सवार होकर मकर राशि में प्रवेश

इस वर्ष विशेष बात यह है कि सूर्य देव बाघ पर सवार होकर मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ संकेत माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्य देव के बाघ पर सवार होकर मकर राशि में प्रवेश करने का यह योग विशेष रूप से शक्तिशाली होता है, जो विभिन्न संकेतों का प्रतीक है। बाघ का वाहन होने से यह साल विशेष रूप से शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है।

आमतौर पर सूर्य देव हर साल मकर संक्रांति पर किसी अलग वाहन पर सवार होकर अपनी यात्रा पर जाते हैं, और उनके वाहन का चुनाव इस वर्ष के लिए कई अहम संकेत देता है। बाघ एक मजबूत और साहसी प्राणी है, जो युद्ध, पराक्रम और शक्ति का प्रतीक होता है। इस बार सूर्य देव का बाघ पर सवार होना इस बात का संकेत है कि इस वर्ष हमें अपने जीवन में साहस, आत्मविश्वास और शक्तिशाली कदम उठाने की आवश्यकता होगी।

 

 

सूर्य देव के बाघ पर सवार होने का असर

सूर्य देव के बाघ पर सवार होने का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अलग-अलग तरीके से देखने को मिलेगा। खासकर उन लोगों के लिए यह समय शुभ रहेगा, जो किसी नई शुरुआत की योजना बना रहे हैं या अपने जीवन में बड़े बदलाव की सोच रहे हैं। बाघ की शक्ति और साहस का प्रतीक होने के कारण, इस समय में की गई मेहनत और प्रयासों से सफलता प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है।

व्यापारियों और व्यवसायियों के लिए भी यह समय विशेष रूप से अच्छा रहेगा। क्योंकि इस दिन विशेष रूप से वाहन खरीदने के लिए शुभ माना जाता है, और इस दिन बाघ पर सवार सूर्य देव के आगमन से यह संकेत मिलता है कि इस साल वाहन उद्योग में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, सोना, चांदी, दलहन और चावल जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी भी हो सकती है। इसलिए अगर आप कोई बड़ी खरीदारी करने की सोच रहे हैं, तो इस समय का लाभ उठाना अच्छा रहेगा।

 

 

मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ और गजक की विशेष मांग

मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, मूंगफली और गजक का सेवन खासतौर पर किया जाता है। इस दिन इन खाद्य पदार्थों का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत है। इस दिन तिल और गुड़ का दान पुण्य और ताजगी का प्रतीक माना जाता है, और यही कारण है कि मकर संक्रांति पर गजक और तिल के लड्डू की दुकानों पर भारी भीड़ होती है।

ग्वालियर और अन्य प्रमुख शहरों में भी गजक की दुकानों पर सुबह से ही लंबी कतारें लगी रहती हैं। लोग इसे प्रसाद के रूप में घरों में ले जाते हैं और इस दिन तिल-गुड़ का सेवन करके अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। तिल और गुड़ का सेवन सेहत के लिए भी लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, तिल के सेवन से शरीर में गर्मी बनी रहती है, जो सर्दियों में बेहद उपयोगी होती है।

 

खरमास का समापन और शुभ कार्यों की शुरुआत

मकर संक्रांति का पर्व खरमास के समापन का प्रतीक भी है। खरमास वो समय होता है जब सूर्य देव दक्षिणायन में होते हैं, और यह समय शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के उत्तरायण में प्रवेश के साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन से विशेष रूप से विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों के आयोजन शुरू हो जाते हैं। 16 जनवरी से विशेष रूप से विवाह समारोह का आयोजन शुरू होगा, और यह समय शहनाई की आवाजों से गूंज उठेगा।

सूर्य देव का बाघ पर सवार होकर मकर राशि में प्रवेश करना न सिर्फ एक धार्मिक घटना है, बल्कि इसका प्रभाव हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव और सफलता की दिशा में अहम भूमिका निभाता है। यह समय विशेष रूप से व्यापार, शिक्षा और व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का संकेत देता है। मकर संक्रांति के इस दिन को हम अपने जीवन में नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देख सकते हैं।

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