भाजपा ने OBC आरक्षण पर खोला मोर्चा: अनारक्षित सीटों पर देगी OBC कैंडिडेट्स को मौका…!

Spread the love

छत्तीसगढ़ के निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बड़ा निर्णय लिया है। पार्टी ने घोषणा की है कि अनारक्षित सीटों (जनरल) पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव सिंह ने स्पष्ट किया कि जनरल सीटों पर कोई भी चुनाव लड़ सकता है, लेकिन पार्टी की आंतरिक रणनीति के तहत ओबीसी वर्ग को अधिक महत्व दिया जाएगा।

 

 

कांग्रेस पर आरोप और भाजपा का जवाब

प्रेस वार्ता के दौरान डिप्टी मुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस पर तीखे आरोप लगाए। साव ने कहा कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण को शून्य करने की साजिश रची थी। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने आरक्षण विधेयक को पास होने से रोकने के लिए सदन से वॉकआउट किया था। साव के अनुसार, झारखंड की कांग्रेस-समर्थित सरकार में भी यही स्थिति है।

साव ने बताया कि राज्य में 16 जिले अधिसूचित क्षेत्र में आते हैं। इन जिलों में अनुसूचित जाति (SC) के लिए 4 सीटें आरक्षित हैं। यह आरक्षण 50% की सीमा पार कर जाता है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ओबीसी के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आरक्षण संभव नहीं हो पाया।

 

 

आरक्षण की स्थिति और नई पहल

साव ने कहा कि आयोग की सिफारिश के अनुसार, ओबीसी वर्ग को अधिकतम 50% तक आरक्षण दिया जा सकता है। पहले यह सीमा केवल 25% तक थी। भाजपा ने ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि अन्य सभी निकायों, नगर निगमों और नगर पालिकाओं में ओबीसी वर्ग को नियमानुसार प्रतिनिधित्व मिलेगा।

कांग्रेस के बयान और भाजपा की प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता चरणदास महंत के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए साव ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। महंत ने ओबीसी आरक्षण न होने को लेकर विवाद बढ़ाने की बात कही थी। साव ने यह भी कहा कि कांग्रेस की राजनीति भ्रम, भ्रष्टाचार और भय के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन भाजपा छत्तीसगढ़ को अशांत नहीं होने देगी।

 

भूपेश बघेल का दृष्टिकोण

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस बार जिला पंचायतों में ओबीसी वर्ग को शून्य आरक्षण दिया गया है, जबकि पिछली बार 27 जिलों में से 7 जिलों में ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित थीं। बघेल ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बताया और भाजपा पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगाया।

निकाय चुनाव की प्रक्रिया

डिप्टी मुख्यमंत्री साव ने यह भी जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव 15 जनवरी के बाद होंगे। इन चुनावों के कार्यक्रम एक साथ घोषित किए जाएंगे, लेकिन मतदान अलग-अलग चरणों में होगा। पूरे चुनावी प्रक्रिया को 30 से 35 दिनों में पूरा करने की योजना है।

यह निर्णय भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जो ओबीसी वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। आने वाले चुनावी माहौल में यह निर्णय कितना प्रभावी होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *