दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को 12वीं कक्षा के एक छात्र को गिरफ्तार किया, जो राजधानी के 400 से अधिक स्कूलों में बम धमाकों की फर्जी धमकी देने में शामिल था। यह मामला न केवल दिल्ली के सुरक्षा तंत्र को झकझोरने वाला है, बल्कि इसके पीछे की पारिवारिक पृष्ठभूमि और सामाजिक कनेक्शन ने कई सवाल खड़े किए हैं। पुलिस ने बताया कि इस छात्र का परिवार उस NGO से जुड़ा है, जो अफजल गुरु की फांसी का विरोध करता रहा है।
पुलिस का खुलासा:
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) मधुप तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि यह मामला 8 जनवरी को एक ईमेल के बाद सामने आया। इस ईमेल में कई स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। टीम ने तकनीकी जांच की और फौरेंसिक सबूत जुटाए। नाबालिग के लैपटॉप और मोबाइल को जब्त कर उसकी जांच की गई।
तिवारी ने बताया, “नाबालिग द्वारा भेजे गए 400 धमकी भरे ईमेल ट्रैक किए गए। हमने उसके परिवार और उसके पिता की गतिविधियों की भी जांच की। पता चला कि परिवार एक NGO से जुड़ा है, जो विवादास्पद मुद्दों पर काम करता है।”
धमकियों का पैटर्न:
2024 में मई से दिसंबर के बीच दिल्ली में 50 से अधिक बम धमकी की घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें से अधिकतर धमकियां स्कूलों, अस्पतालों, हवाई अड्डों और एयरलाइनों को मिलीं। जनवरी के महीने में ही चार बार दिल्ली के स्कूलों को निशाना बनाया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस मामले पर कहा कि अगर एक किशोर इस तरह की गतिविधियों में लिप्त है, तो यह शिक्षा प्रणाली और सामाजिक तंत्र पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा, “यह समझने की जरूरत है कि क्या यह किशोर केवल एक मोहरा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इसके माता-पिता और NGO का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है?”
धमकी भरे ईमेल्स
- 13 दिसंबर की घटना: 30 स्कूलों को ईमेल के जरिए बम धमाके की धमकी दी गई। कहा गया कि अभिभावक मीटिंग के दौरान विस्फोट होगा। हालांकि, पुलिस की जांच में यह सिर्फ अफवाह निकली।
- 9 दिसंबर की घटना: 44 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई। धमकी देने वाले ने 30 हजार अमेरिकी डॉलर की मांग की थी।
पिछली घटनाएं:
साल 2023 में भी चार स्कूलों को बम धमकी दी गई थी। ये धमकियां अप्रैल और मई महीने में ईमेल के जरिए की गई थीं। सभी घटनाएं फर्जी साबित हुईं।
जांच की दिशा:
दिल्ली पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस नाबालिग को किसी ने उकसाया या इसके पीछे कोई संगठित साजिश है। पुलिस ने संबंधित NGO की गतिविधियों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी है।
शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी:
यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि न केवल शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है, बल्कि अभिभावकों और संगठनों की भूमिका पर भी सवाल उठाए जाने चाहिए। बच्चों पर पड़ने वाले सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को नजरअंदाज करना भविष्य में गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है।
यह मामला न केवल सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती को लेकर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी बताता है कि बच्चों और युवाओं पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। फर्जी धमकियां न केवल समय और संसाधनों की बर्बादी करती हैं, बल्कि समाज में असुरक्षा का माहौल भी पैदा करती हैं।