छत्तीसगढ़ को आज मिल सकते हैं नए DGP : रेस में पवनदेव और अरुणदेव सबसे आगे, UPSC को भेजे गए नाम; ऐलान जल्द…!!

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छत्तीसगढ़ का नया DGP कौन होगा यह सवाल पुलिस महकमे में काफी चर्चा में है। सब कुछ ठीक रहा तो आज (मंगलवार) शाम तक इसका ऐलान हो जाएगा। विष्णुदेव सरकार में छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक का जिम्मा सीनियर IPS अफसर पवनदेव या फिर अरुणदेव में से किसी एक को मिल सकता है।

अधिकारियों के नाम दिल्ली यूपीएससी को भेजे गए हैं। यूपीएससी के क्लीयरेंस के बाद नए DGP की पदस्थापना की जाएगी। दूसरी तरफ अब तक छत्तीसगढ़ के डीजीपी रहे अशोक जुनेजा का कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो गया है। उन्हें पहले 2 बार सेवा विस्तार मिल चुका है, लेकिन इस बार अब तक कोई नया आदेश जारी नहीं हुआ है। आधिकारिक घोषणा न होने पर सीनियर IPS अफसर में से किसी एक को प्रभारी DGP बनाया जा सकता है।

DGP की रेस में आईपीएस अफसर हिमांशु गुप्ता और जीपी सिंह का नाम भी शामिल होने की बातें सामने आती रही हैं। हालांकि जल्दी किसी एक नाम पर फैसला लिया जाएगा। अशोक जुनेजा पहले से ही सरकार की ओर से बढ़ाए गए टेन्योर पर काम कर रहे थे, उनकी सर्विस समाप्त होने से पहले उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था।

जानिए कौन थे प्रदेश के पहले DGP

छत्तीसगढ़ के पहले डीजीपी IPS श्रीमोहन शुक्ला का निधन हो चुका है। हाल ही में उन्होंने भोपाल में अंतिम सांसें ली। श्रीमोहन शुक्ला को एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ का पहला डीजीपी बनाया गया था। 26 मई 2001 तक वह इस पद पर बने रहे।

इसके बाद रामलखन सिंह का नया डीजीपी बनाया गया। जोगी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में वो 2001 से 2004 के बीच छत्तीसगढ़ पीएससी के अध्यक्ष रहे। शुक्ला ने मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बतौर SP भी अपनी सेवाएं दी।

DGP नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह है निर्देश

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का 2006 का फैसला राज्य डीजीपी नियुक्तियों के लिए मार्गदर्शक ढांचे के रूप में काम करना जारी रखता है। न्यायालय ने आदेश दिया कि राज्य सरकारें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा सूचीबद्ध 3 सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से अपने DGP का चयन करें।

चयनित अधिकारी को अपनी सेवानिवृत्ति तिथि की परवाह किए बिना कम से कम दो साल का कार्यकाल पूरा करना होगा।

DGP पद के लिए योग्‍यता

डीजीपी बनने के लिए 30 साल की सेवा जरूरी है। इससे पहले स्पेशल केस में भारत सरकार डीजीपी बनाने की अनुमति दे सकती है। छोटे राज्यों में आईपीएस का कैडर छोटा होता है, इसको देखते हुए भारत सरकार ने डीजीपी के लिए 30 साल की सर्विस की जगह 25 साल कर दिया है। मगर बड़े राज्यों के लिए नहीं।

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