PM मोदी सातवीं बार फ्रांस पहुंचे : आज AI समिट में शामिल होंगे, मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे; फिर ट्रम्प से मिलने अमेरिका जाएंगे…!!

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PM मोदी सोमवार रात फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचे। पेरिस के ऑली एयरपोर्ट पर उन्होंने मौजूद भारतीयों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री के सम्मान में फ्रांस सरकार ने सोमवार रात मशहूर एलीजे पैलेस में VVIP डिनर का आयोजन किया था। इसमें फ्रेंच प्रेसिडेंट मैक्रों समेत कुछ और देशों के नेता मौजूद रहे। PM मोदी का यह दौरा 2 दिनों का है। वे आज AI समिट में शामिल होंगे और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। PM मोदी का यह सातवां फ्रांस दौरा है। वो आखिरी बार 2023 में फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस (बास्तिल डे) कार्यक्रम में शामिल होने गए थे।

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राष्ट्रपति मैक्रों के निमंत्रण पर मैं 10 से 12 फरवरी तक फ्रांस की यात्रा पर रहूंगा। मैं पेरिस में AI समिट की सह-अध्यक्षता करने के लिए उत्सुक हूं। फ्रांस से मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निमंत्रण पर अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा पर जाऊंगा। मैं राष्ट्रपति ट्रम्प से मिलने के लिए उत्सुक हूं। उनके साथ पहले कार्यकाल में काम करने का अनुभव अच्छा है।

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PM मोदी ने बताया कि वह फ्रांस में पहले भारतीय वाणिज्य दूतावास का मासे शहर में उद्घाटन करेंगे और इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर परियोजना का दौरा करेंगे। इसके साथ ही वो पहले और दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान मारे गए भारतीय सैनिकों को मजारग्यूज युद्ध समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देंगे। PM मोदी 12 फरवरी को अमेरिका रवाना हो जाएंगे। उन्होंने अपनी यात्रा को भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर बताया। PM ने कहा कि अमेरिका दौरे पर दोनों देशों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना एजेंडे में शामिल होगा।

मैक्रों के साथ AI समिट को-होस्ट करेंगे मोदी 11 फरवरी को PM पेरिस के ग्रैंड पैलेस में राष्ट्रपति मैक्रों के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक्शन समिट 2025 की सह अध्यक्षता करेंगे। यह समिट 2023 में ब्रिटेन और 2024 में साउथ कोरिया में आयोजित हुई थी।

समिट में AI के जिम्मेदारी से इस्तेमाल पर चर्चा होगी, ताकि यह लोगों की भलाई के काम आए और इसके खतरे नियंत्रित रहें। इस दौरान ग्लोबल पॉलिटिक्स पर भी बात हो सकती है। PM मोदी फ्रांस के उद्योगपतियों से मुलाकात कर सकते हैं।

AI समिट में चीन और अमेरिका भी AI एक्शन समिट में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और चीनी उप प्रधानमंत्री भी शिरकत करेंगे। रॉयटर्स के मुताबिक इस कार्यक्रम में OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन भी शामिल हो सकते हैं। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के बड़े अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।

मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के रक्षा संबंधों में मजबूती मिलने की उम्मीद है। दरअसल, इस यात्रा के दौरान भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन फाइटर जेट और 3 स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की खरीद समेत और कई अहम सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है।

भारत को लेकर फ्रांस का स्टैंड पश्चिम से अलग JNU के प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक भारत को लेकर फ्रांस का स्टैंड दूसरे पश्चिमी देशों से अलग है। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी मानवाधिकार और लोकतंत्र को लेकर भारत पर सवाल खड़े करते है। इनकी तुलना में फ्रांस, भारत के आंतरिक मामलों में काफी कम दखलंदाजी करता है। ये एक मुख्य वजह है कि भारत का फ्रांस के साथ कभी कोई बड़ा मनमुटाव नहीं रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भारत और फ्रांस की दोस्ती को अटूट बता चुके हैं। यह बात कई बार समय की कसौटी पर खरी भी उतरी है। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर हमेशा से भारत के पक्ष में मजबूती से खड़ा रहा है।

1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद कई देशों ने भारत से दूरी बना ली थी तब भारत ने पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास ‘वरुण’ फ्रांस के साथ ही किया था। इसका 21वां संस्करण जनवरी 2023 में आयोजित किया गया। फ्रांस और भारत ने मार्च 2023 में अपना पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास फ्रांस इंडिया जॉइंट एक्सरसाइज (FRINJEX) भी किया।

फ्रांस UN में कश्मीर के मुद्दे पर भारत के समर्थन पाकिस्तान के प्रस्तावों पर वीटो लगा चुका है। 28 अगस्त 2019 को तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बातचीत के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला बताया था। इसके अलावा फ्रांस ने FATF और इंडो पैसिफिक के मुद्दे पर भी लगातार भारत के साथ मिलकर काम किया है।

भारत ने पहला परमाणु परीक्षण फ्रांस की मदद से किया BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस 1970 के दशक से ही एनर्जी, एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर में भारत का करीबी सहयोगी रहा है। अमेरिका ने भारत को परमाणु परीक्षण करने के लिए जरूरी सप्लाई करने से इनकार कर दिया था। तब भारत ने फ्रांस की मदद से ही 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया।

परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर दस्तखत न करने की वजह से अमेरिका ने 1978 में भारत को न्यूक्लियर प्लांट के लिए यूरेनियम की आपूर्ति बंद कर दी। रूस से भी भारत को मदद नहीं मिली। ऐसे वक्त में तारापुर न्यूक्लियर प्लांट को चलाने के लिए फ्रांस ने 1982 में भारत को यूरेनियम की सप्लाई की।

इसके बाद साल 1982 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा मितरां भारत दौरे पर आए।

पश्चिमी देशों के उलट जाकर फ्रांस ने भारत को न्यूक्लियर प्लांट सेटअप करने में मदद की। रूस के बाद फ्रांस इकलौता ऐसा देश है जिसने भारत की न्यूक्लियर कैपेबिलिटी को बढ़ाने में मदद की। इस प्लांट को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत अभी जारी हैं। महाराष्ट्र के जैतपुर में लगा परमाणु प्लांट फ्रांस की मदद से ही मुमकिन हो पाया।

फ्रांसीसी अखबार ला मोंड के मुताबिक जियो-स्ट्रैटेजिक के तौर पर भारत 1998 से ही फ्रांस का करीबी रहा है। पोखरण टेस्ट से चार महीने पहले जनवरी 1998 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति जेक शिराक भारत आए थे जिसके बाद दोनों देशों ने स्ट्रैटेजिक रिलेशन कायम किए।

भारत के टॉप-2 हथियार सप्लायर्स में शामिल फ्रांस फ्रेंच अखबार ला मोंड के मुताबिक फ्रांस ऐसे वक्त में भी भारत का साथ देता आया है जब अमेरिका समेत दुनिया की तमाम बड़ी शक्तियों ने भारत का साथ छोड़ दिया था। पोखरण में परमाणु टेस्ट के बाद अमेरिका, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों ने भारत पर कई प्रतिबंध लगा दिए, लेकिन फ्रांस ने भारत का समर्थन किया।

फ्रांस ने अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी करते हुए भारत को हथियार बेचना शुरू किया और अब वो रूस के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारत को फ्रांस से मिराज 2000 फाइटर जेट, राफेल फाइटर जेट और स्कॉर्पीन पनडुब्बी मिल चुकी है।

फ्रांस ने इंटरनेशनल फोरम पर हमेशा भारत को सपोर्ट किया सितंबर 2023 में हुए G20 समिट के दौरान PM मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने का न्योता दिया था, लेकिन दिसंबर में उन्होंने भारत आने से इनकार कर दिया। ऐसे वक्त में भारत ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को गणतंत्र दिवस में शामिल होने का न्योता भेजा। उन्होंने इसे तुरंत स्वीकार भी कर लिया।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फ्रांस ने भारत का हमेशा समर्थन किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों ने सितंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र में भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की मांग की थी। इसके अलावा फ्रांस, न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप (NSG) में भी भारत को सदस्य बनाने का पक्षधर है।

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