स्वीकृत के 10 फीसदी पदों पर होनी बची है नियुक्ति…!

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(एक से तीन वर्ष के लिए होगी नियुक्ति)

बिलासपुर : उद्योग, इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यम, समाज विज्ञान, ललित कला, सिविल सेवा और सैन्य बलों के विशेषज्ञों की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षक के तौर पर नियुक्ति की जाएगी, इसके लिए नेट- पीएचडी की बाध्यता नहीं होगी।

यूजीसी ने इस पद को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस नाम देते हुए बाकायदा पोर्टल लॉन्च किया था। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के ऐसे विशेषज्ञों ने अपना पंजीयन कराया जो उच्च शैक्षणिक संस्थानों में काम करना चाहते हैं। अब यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों से 10 दिसंबर तक प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पोर्टल के जरिए की गई नियुक्तियों की जानकारी मांगी है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को किताबी पढ़ाई के साथ कौशल आधारित शिक्षा देने पर जोर दिया गया है। एनईपी के अनुसार उद्योग और अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए कौशल आधारित शिक्षा जरूरी है। उच्च शिक्षा संस्थानों में इसके लिए विषय शिक्षकों के अलावा अपने- अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञों की नियुक्ति करने की सिफारिश यूजीसी की बैठक में की गई थी।

हालांकि इस कांसेप्ट को शुरुआत में विरोघ का सामना भी करना पड़ा था। बहरहाल, यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्तियों के लिए विस्तृत दिशा- निर्देश जारी किए हैं। उच्च शिक्षा संस्थान में किसी भी समय प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की संख्या शिक्षकों के लिए स्वीकृत पदों से अधिक नहीं होगी। यूजीसी के अनुसार स्वीकृत पदों के 10 फीसदी से अधिक पदों पर नियुक्ति नहीं होगी। प्रैक्टिस के प्रोफेसर की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए होगी। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति स्वीकृत पदों के अलावा होगी।

स्वीकृत पदों की संख्या पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उद्योग, विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता, प्रबंधन, चार्टर्ड अकाउंटेंट वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, साहित्य, ललित कला, सिविल सेवा, सशस्त्र बल, कानून समेत अन्य क्षेत्रों में अनुभवी लोगों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति दी जाएगी। नियुक्ति के लिए न्यूनतम 15 वर्षों का अनुभव रखने के साथ अपने विशिष्ट पेशे या भूमिका में विशेषज्ञ होने चाहिए।

इस पद के लिए एक औपचारिक शैक्षणिक योग्यता आवश्यक नहीं होगी। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पदों पर नियुक्ति शुरुआत में एक वर्ष के लिए की जाएगी। सेवा विस्तार पर उच्च शिक्षा संस्थान आकलन करने के बाद निर्णय लेंगे। नियुक्ति अधिकतम तीन वर्ष के लिए की जा सकेगी, जिसे विशेष परिस्थितियों में एक वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकेगा। सेवा अवधिक किसी भी परिस्थिति में चार वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

मई में लॉन्च हुआ था पोर्टल, 10882 ने कराया पंजीयन, 326 संस्थान जुड़े प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति करने यूजीसी ने मई 2023 में पोर्टल लॉन्च किया था, इसमें अब तक 10882 विशेषज्ञों ने अपना पंजीयन कराया है। यानी ये एक्सपर्ट के तौर पर उच्च शिक्षा संस्थानों में अपनी सेवाएं देना चाहते हैं। वहीं, अब तक 326 उच्च शिक्षा संस्थान अब पहल से जुड़ चुके हैं।

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