शिकार का नया ट्रेंड : करंट लगाकर मारे जा रहे हा​थी, 10 साल में 167 मरे, इनमें 62 इसी तरह…!!

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हा​​थियों के संरक्षण पर 10 साल में 150 करोड़ रुपए खर्च किए वन विभाग ने, पर नतीजा जस का तस देश में हाथियों को बचाने के लिए केंद्र सरकार 1992 से प्रोजेक्ट एलीफेंट चला रही है। बावजूद छत्तीसगढ़ में हाथियों के मरने की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। पिछले 10 साल के आंकड़े देखें तो राज्य सरकार ने हाथियों के संरक्षण पर लगभग 150 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

एक दर्जन से अधिक योजनाएं बनाई, उसके बाद भी 167 ​हाथियों की मौत इस दौरान हुई। इसमें से 62 बिजली करंट से मर गए, दो को जहर देकर मार दिया गया। बाकी प्राकृतिक और अन्य तरीके से मौतें हुईं।

बिजली करंट को लेकर जब पड़ताल की गई तो आधे मामले शिकार के निकले, बाकी किसानों ने परेशान होकर ​खेत में बिजली तार बिछा रखे थे। बता दें कि 2014-15 में रमन सरकार ने हाथियों के बचाने के लिए गजराज और भालूओं के लिए जामवंत योजना शुरू की। इसमें 152 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। भूपेश सरकार ने आने के बाद इस योजना को बंद कर दिया।

कई प्रयोग: सरगुजा में रेस्क्यू सेंटर बनाया, हाथी मित्र दल बनाए, अलर्ट एप

  • सरगुजा में हाथियों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाया गया। इसमें 12 कुमकी हाथी लाए गए। ये हाथी मानव को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इनके साथ जंगली हाथियों को रखकर उनके व्यवहार बदलने का प्रयोग किया गया।
  • हाथी मित्र दल योजना के तहत गांव वालों को ट्रेनिंग दी गई। इनको टास्क दिया गया कि वे हाथियों पर नजर रखें और गांव वालों को अलर्ट भेजते रहे।
  • वन विभाग ने छत्तीसगढ़ एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट एप तैयार किया था। विभाग का दावा है कि 10 किमी के अंदर हाथियों का रियल टाइम मूवमेंट ग्रामीणों के मोबाइल पर भेजा जाता है।
  • आकाशवाणी पर अंबिकापुर, रायगढ़, रायपुर और बिलासपुर में हाथी समाचार शुरू किया गया। इसमें हाथियों के विचरण क्षेत्र की जानकारी दी जाती थी।
  • जंगलों में हाथियों के लिए कई तालाब बनाए। घास लगाई गई। हाथी सड़क पर न आए इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने कॉरिडोर बनाया।

100 साल होती है हाथियों की अधिकतम आयु

30 हजार हाथी थे चीन में एक जमाने में भारत की तरह

250 हाथी भी नहीं बचे हैं चीन में संरक्षण न होने की वजह से

सीधी बात – प्रेम कुमार, एडिशनल पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ

10 साल में 62 हाथी करंट से मरे, क्या ये शिकारियों का नया ट्रेंड है? शिकार से अधिक बदले की भावना से हाथी मारे जा रहे हैं। ग्रामीण फसल के समय बिजली के तारे बिछा देते हैं। कहीं बिजली विभाग के तार भी नीचे हैं। हमने बिजली विभाग को पत्र लिखा है।

शिकारियों के पास हाथी दांत कैसे? शिकार से मना नहीं किया जा सकता है। इंटरनेशनल मार्केट में हाथी दांत की मांग है, पर हाथियों का अधिक शिकार नहीं हो रहा है।

मरने की संख्या बढ़ क्यों रही है? दूसरे राज्यों में खनिज की वजह से जंगल कट रहे हैं। अब छत्तीसगढ़ में ही केवल जंगल बचे हैं, इसलिए उड़ीसा,झारखंड के हाथी भी यहां आ रहे हैं। इसलिए हाथियों की संख्या भी बढ़ रही है।

1 करोड़ में बिकते हैं हाथी दांत

इंटरनेशनल मार्केट में हाथी दांत एक करोड़ रुपए तक में बिकते हैं। यही वजह है कि शिकारी की पहली नजर हाथियों पर रहती हैं। बाकी के लिए जो कॉरिडोर बनाया जाता है, यह वह रास्ता होता है जहां वे अधिकतर जाते हैं। इसमें घर और कृषि भूमि भी होती है। इसका यह मतलब नहीं है कि वे कहीं और नहीं जाते, उनका विचरण कहीं भी हो सकता है।

अमूमन यह देखा जाता है हाथी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे परेशान होकर लोग हाइटेंशन तार से एक तार लटका देते हैं, जिसके संपर्क में आकर हाथी मर जाते हैं। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि पैसे बचाने के चक्कर में बिजली विभाग पोल की हाइट कम कर देता है। वैसे हाथियो की अधिकतम आयु 100 साल होती है।

चीन में भारत की तरह एक जमाने में 30 हजार हाथी थे, लेकिन वहां संरक्षण न होने की वजह से 250 भी नहीं बचे हैं। वहीं भूटान में हर साल केवल एक हाथी ही मरता है, क्योंकि वहां हाथियों के लिए मानव रहित कॉरिडोर बनाए गए हैं।

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