ईडी की छापेमारी:
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और AICC महासचिव भूपेश बघेल के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापा मारा है। यह कार्रवाई उनके भिलाई-3 पदुमनगर स्थित घर पर सोमवार सुबह की गई। चार गाड़ियों में पहुंची टीम ने दस्तावेजों की जांच शुरू की। इस दौरान राज्य के करीब 14 अन्य स्थानों पर भी छापेमारी की गई, जिसमें उनके बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े ठिकाने भी शामिल हैं।
किन मामलों से जुड़ी है छापेमारी?
यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में की जा रही है। इसमें कथित शराब घोटाला, कोल लेवी घोटाला और महादेव सट्टा ऐप से जुड़े आर्थिक लेन-देन की जांच की जा रही है। इसके अलावा, भिलाई और दुर्ग के कुछ अन्य कारोबारियों के ठिकानों पर भी छानबीन की जा रही है।
भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया
इस छापेमारी के बाद भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि पिछले सात वर्षों से चल रहे एक झूठे केस को जब कोर्ट ने खारिज कर दिया, तो ED ने उनके घर पर दबिश दी। उन्होंने इसे एक राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि कोई इस तरह कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
कांग्रेस का बयान
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने इस कार्रवाई को भाजपा प्रायोजित बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को निशाना बना रही है।
महादेव सट्टा ऐप केस में पहले भी हो चुकी है FIR
एक साल पहले महादेव सट्टा ऐप से जुड़े मामले में EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) ने शिकायत के आधार पर भूपेश बघेल सहित 21 लोगों पर FIR दर्ज की थी। इस मामले में सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल जैसे नाम सामने आए थे। उस समय बघेल ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया था।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला: क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच ED कर रही है। यह घोटाला 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बताया जा रहा है। जांच में पाया गया कि तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में कुछ अधिकारियों और कारोबारियों ने मिलकर अवैध तरीके से शराब की बिक्री और टैक्स चोरी को अंजाम दिया था।
शराब घोटाले के तीन मुख्य तरीके:
-
डिस्टलरी संचालकों से कमीशन वसूली
- 2019 में प्रति पेटी 75 रुपये और बाद में 100 रुपये कमीशन लिया गया।
- टेंडर में शराब की कीमतें बढ़ाकर इस पैसे की भरपाई की गई।
-
नकली होलोग्राम वाली शराब बेचना
- नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों में शराब बेची गई।
- इसमें शराब कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों और कुछ नेताओं की मिलीभगत पाई गई।
-
डिस्टलरी सप्लाई क्षेत्र में हेरफेर
- शराब की आपूर्ति के लिए प्रदेश को 8 जोनों में बांटा गया।
- सप्लाई एरिया निर्धारित करने के लिए घूस ली गई, जिससे करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ।
ACB की जांच में सामने आया कि इस घोटाले में 40 लाख से अधिक शराब पेटियां बेची गईं।
महादेव ऐप से 6,000 करोड़ रुपये की कमाई
ED महादेव ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की भी जांच कर रही है। आरोप है कि इस घोटाले में छत्तीसगढ़ के कई राजनेताओं और अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई है। इस ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल भी छत्तीसगढ़ के ही निवासी हैं। अब तक की जांच में 6,000 करोड़ रुपये के अवैध लेन-देन का खुलासा हुआ है।
कोल लेवी स्कैम: 570 करोड़ रुपये का घोटाला
ED ने छत्तीसगढ़ में 570 करोड़ रुपये के कोल लेवी घोटाले का खुलासा किया था।
इस मामले में गिरफ्तार लोग:
- IAS अधिकारी रानू साहू
- IAS समीर विश्नोई
- सौम्या चौरसिया
- कारोबारी सूर्यकांत तिवारी
- कई अन्य राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारी
इस घोटाले में आरोप है कि प्रति टन कोयले पर 25 रुपये की अवैध वसूली की जाती थी। यह राशि सिंडिकेट के जरिए वसूली गई थी, जिसमें कई प्रभावशाली लोग शामिल थे।
भूपेश बघेल पर महादेव ऐप घोटाले में आरोप
ED की चार्जशीट के अनुसार, विधानसभा चुनाव के दौरान महादेव सट्टा ऐप प्रमोटर्स ने भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपये भेजे थे। असीम दास नामक एक व्यक्ति के बयान के अनुसार, ऐप के प्रमोटर शुभम सोनी ने नकद राशि पहुंचाने का काम सौंपा था। बघेल ने इसे राजनीतिक साजिश बताया।
निष्कर्ष
ED की यह छापेमारी छत्तीसगढ़ के बड़े घोटालों से जुड़ी है, जिसमें शराब घोटाला, कोल घोटाला और महादेव सट्टा ऐप मामला शामिल है। विपक्ष इसे राजनीतिक साजिश बता रहा है, जबकि सरकार इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कह रही है। आने वाले समय में इस मामले में और खुलासे होने की संभावना है।