रायपुर जेल में रहकर भी गैंग चला रहा था अमन:मैसेंजर ऐप से करता था बात; कैद रहते हुए ली कारोबारी को मारने की सुपारी

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झारखंड में गैंगस्टर अमन साव का एनकाउंटर: जानिए पूरी घटना विस्तार से

गैंगस्टर अमन साव, जो 148 दिनों से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद था, मंगलवार सुबह झारखंड पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। उसे सोमवार रात कड़ी सुरक्षा में रायपुर जेल से निकालकर झारखंड ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में उसके साथियों ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।


कैसे हुआ एनकाउंटर?

  • सोमवार रात 8:11 बजे, झारखंड पुलिस की एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) टीम अमन साव को स्कॉर्पियो गाड़ी में लेकर रांची जा रही थी।

  • मंगलवार सुबह 9:15 बजे, जैसे ही कार चैनपुर-रामगढ़ रोड के अन्हारी ढ़ोढ़ा घाटी पहुंची, अमन के गुर्गों ने गाड़ी पर बम से हमला कर दिया।

  • हमले के बाद अमन साव ने मौके का फायदा उठाते हुए हवलदार राकेश कुमार की राइफल छीनकर फायरिंग करने की कोशिश की, लेकिन जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे मार गिराया।

  • इस मुठभेड़ में हवलदार राकेश कुमार घायल हो गया, जिसे MMCH पलामू में भर्ती कराया गया।


अमन साव पर क्यों थी झारखंड पुलिस की नजर?

झारखंड पुलिस को इनपुट मिला था कि अमन साव जेल में रहते हुए भी गैंग चला रहा था। उसके इशारे पर उसके गुर्गों ने 7 मार्च को रांची में कोयला कारोबारी बिपिन मिश्रा पर हमला किया था।

  • इस हमले में मिश्रा और उनके ड्राइवर को गोली लगी थी, लेकिन उनके बॉडीगार्ड ने जवाबी फायरिंग की, जिससे हमलावर फरार हो गए।

  • इस मामले में झारखंड पुलिस ने केस दर्ज किया था और अमन साव को रांची लाकर पूछताछ करने की योजना बनाई थी।


रायपुर जेल में कैसे पहुंचा था अमन साव?

  • गैंगस्टर अमन साव को 19 अक्टूबर 2024 को रायपुर सेंट्रल जेल में भेजा गया था।

  • वह 13 अक्टूबर 2024 को रायपुर लाया गया था और जेल में रहते हुए उसने फोटोशूट भी कराया था।

  • उसके एनकाउंटर के बाद यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिसे लेकर जेल प्रशासन पर भी सवाल उठे।

जेल अधीक्षक अमित शांडिल्य ने कहा कि वायरल फोटो रायपुर जेल की नहीं है। लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि जेल अपराधियों के लिए आरामगाह बन चुका है और वहां उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं दी जा रही हैं।


अमन साव पर कितने केस थे दर्ज?

अमन साव के खिलाफ 8 जिलों में 50 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे।
उसका गैंग रांची, रामगढ़, चतरा, धनबाद, हजारीबाग, पलामू, लातेहार और बोकारो में रंगदारी मांगने और अपराध करने में सक्रिय था।

  • उसका गिरोह कोयला व्यवसायियों, ट्रांसपोर्टरों, बिल्डरों और ठेकेदारों से रंगदारी मांगता था।

  • जो रंगदारी नहीं देते थे, उनकी हत्या कर दी जाती थी या उनके दफ्तरों पर फायरिंग की जाती थी।

  • पिछले 6 महीनों में ऐसे आधा दर्जन से अधिक मामले सामने आ चुके थे।


झारखंड पुलिस की हाई सिक्योरिटी टीम

अमन साव को ले जाने के लिए झारखंड पुलिस की टीम पूरी तरह हाई सिक्योरिटी से लैस थी।

  • गाड़ी में दोनों ओर सशस्त्र पुलिस बल तैनात था।

  • झारखंड पुलिस की एक और गाड़ी आगे चल रही थी, जिससे सुरक्षा और बढ़ा दी गई थी।


झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता का बयान

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि अमन साव, विकास तिवारी और अमन श्रीवास्तव जैसे अपराधी जेल से ही अपना गैंग चला रहे हैं।

  • ये अपराधी वर्चुअल नंबर के जरिए अपने गुर्गों से संपर्क करते हैं।

  • हमने एटीएस एसपी को निर्देश दिया है कि वे बीएनएस की धारा 111 के तहत कार्रवाई करें, जिससे संगठित अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सके।


निष्कर्ष

गैंगस्टर अमन साव की एनकाउंटर में मौत झारखंड पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

  • उसने जेल में रहते हुए भी अपराधी नेटवर्क सक्रिय रखा था, जिससे झारखंड में अपराध तेजी से बढ़ रहा था।

  • पुलिस के कड़े सुरक्षा घेरे के बावजूद उसके गुर्गों ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने समय रहते कार्रवाई कर दी।

इस घटना ने यह भी दिखाया कि कैद में रहने के बावजूद गैंगस्टर जेल के अंदर से ही अपराध चला रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि झारखंड पुलिस इस पूरे नेटवर्क को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाती है।

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