पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का बयान: कांग्रेस में “फूल छाप कांग्रेसी” पहचानना ज़रूरी है, भविष्य की रणनीति पर दी अहम राय

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मुख्य बिंदु:

  • पार्टी में “फूल छाप कांग्रेसी” की पहचान करना आवश्यक।

  • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से रिश्तों पर स्पष्ट राय।

  • कांग्रेस संगठन में बदलाव और आगामी रणनीति पर बेबाक विचार।

  • वर्तमान स्थिति, ED की कार्रवाई, और नेतृत्व परिवर्तन पर सिंहदेव की राय।

  • पार्टी को मजबूत करने के लिए प्राथमिकता: अंबिकापुर और सरगुजा संभाग पर फोकस।

पूरा विवरण:

पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि पार्टी में ऐसे लोगों की पहचान करना बेहद जरूरी है, जो केवल अवसर के हिसाब से सक्रिय होते हैं। उन्होंने इन लोगों को “फूल छाप कांग्रेसी” के रूप में संदर्भित किया, जो सत्ता के अनुसार अपनी निष्ठा बदलते रहते हैं। सिंहदेव ने कांग्रेस के अंदर ऐसे लोगों को पहचानने और उनकी भूमिका को स्पष्ट करने की आवश्यकता जताई, ताकि पार्टी को सही दिशा में मार्गदर्शन मिल सके।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ अपने रिश्तों पर बात करते हुए, सिंहदेव ने कहा कि उनके और भूपेश के रिश्ते एक-दूसरे से विपरीत दिशा में नहीं हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी के फैसले संगठन और हाईकमान के हाथ में होते हैं। कांग्रेस संगठन में बदलाव और आगामी रणनीतियों पर सिंहदेव ने खुलकर अपनी राय रखी। उनका कहना था कि उनके लिए अभी सबसे बड़ी प्राथमिकता अंबिकापुर और सरगुजा संभाग में कांग्रेस को दोबारा मजबूत करना है, जो चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

टीएस सिंहदेव ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए कहा कि अगर राजनीति में स्वीकार्यता केवल गाली देने या कॉलर पकड़ने से मिलती, तो उनके जैसे शांत स्वभाव वाले व्यक्ति के लिए राजनीति में कोई स्थान नहीं होता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ED जैसी एजेंसियों की कार्रवाई पर सवाल उठने के बजाय यह पूछा जाता है कि कहीं राजनीतिक साजिश तो नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि उनके मन में यह सवाल हमेशा उठता है जब ऐसी एजेंसियां किसी पर कार्रवाई करती हैं।

सिंहदेव ने यह भी कहा कि भाजपा का उद्देश्य “कांग्रेस मुक्त भारत” बनाना है और उनकी मानसिकता हमेशा एक-पार्टी शासन की रही है, जैसा कि चीन और रूस में देखा जाता है। लेकिन उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में सत्ता परिवर्तन की संभावना हमेशा बनी रहती है।

उनसे यह सवाल भी पूछा गया कि क्या कांग्रेस में विभिन्न गुट हैं, जिस पर सिंहदेव ने कहा कि कांग्रेस में कोई अलग-अलग गुट नहीं हैं। सभी नेता अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि हैं और हाईकमान ही पार्टी के निर्णय करता है।

जब 2023 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, तो सिंहदेव ने बताया कि 2018 में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी, लेकिन कुछ कमजोरियों के कारण पार्टी ट्राइबल बेल्ट और शहरी क्षेत्रों में कमजोर पड़ी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मैदानी इलाकों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया और 2018 की तुलना में इस बार भी सीटें जीतीं।

सिंहदेव ने कहा कि कांग्रेस को अब आत्ममंथन करने की जरूरत है और संगठन में सुधार लाने की आवश्यकता है। इसके लिए नेतृत्व परिवर्तन से ज्यादा टीम वर्क की जरूरत है। उनका मानना था कि एक मजबूत टीम ही सफलता दिला सकती है, न कि केवल नेतृत्व परिवर्तन।

कांग्रेस को आक्रामक होने की जरूरत पर सिंहदेव ने कहा कि राजनीति में स्वीकार्यता ही सबसे महत्वपूर्ण होती है। उनका मानना था कि अगर आक्रामक राजनीति से ही जीत मिलती, तो उनके जैसे शांत स्वभाव वाले व्यक्ति के लिए राजनीति में कोई स्थान नहीं होता।

सिंहदेव ने यह भी बताया कि उनके शांत स्वभाव के कारण कई बार उन पर सवाल उठाए गए थे, लेकिन उनका मानना था कि अगर जनता उनकी सेवा स्वीकार करती है, तो वे राजनीति छोड़ने के बारे में नहीं सोचेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भूपेश बघेल और विष्णु देव साय की सरकारों में अंतर महसूस होता है। भूपेश बघेल की सरकार अधिक आक्रामक थी, जबकि विष्णु देव साय की सरकार ज्यादा संयमित है।

भूपेश बघेल की सरकार की योजनाओं में से कुछ योजनाएं, जैसे स्वामी आत्मानंद स्कूल योजना और हेल्थ चेकअप योजना, को वर्तमान सरकार ने जारी रखा है, जो सिंहदेव के अनुसार अच्छी बात है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कुछ योजनाएं, जैसे नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना, जो पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए जरूरी थी, उन्हें बंद कर दिया गया है, जो गलत है।

सिंहदेव ने यह भी कहा कि अगर उन्हें पार्टी की ओर से कोई नई जिम्मेदारी दी जाती है, तो वे इसके लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि फिलहाल उनका पूरा ध्यान अंबिकापुर और सरगुजा में पार्टी को मजबूत करने पर है।

जब 2018 में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की जोड़ी को जय-वीरू की जोड़ी कहा जाता था, तो अब विपक्ष में होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता को पार्टी के हित में बताया। उनका मानना था कि कुछ परिस्थितियों के कारण रिश्तों में तनाव आ सकता है, लेकिन उनका उद्देश्य हमेशा पार्टी की सफलता के लिए काम करना रहा है।

राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस में ऐसे नेताओं के बारे में कहा गया था जो बीजेपी के लिए काम करते हैं, इस पर सिंहदेव ने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान करना जरूरी है। वे फूल छाप कांग्रेसी होते हैं, जो सत्ता के हिसाब से अपनी निष्ठा बदलते हैं। ऐसे लोगों को पहचानकर पार्टी को जिम्मेदारी देने से बचना चाहिए, ताकि पार्टी को जीत की दिशा में आगे बढ़ाया जा सके।

निष्कर्ष:
टीएस सिंहदेव के बयान से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस को अपनी पहचान और नेतृत्व को मजबूत करने की जरूरत है, और ऐसे लोगों को पार्टी में जिम्मेदारी देनी चाहिए, जो सच्चे कार्यकर्ता हों, न कि वे जो अवसरवादी तरीके से अपनी निष्ठा बदलते हैं।

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