विधानसभा में राष्ट्रपति का ऐतिहासिक संबोधन

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“छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”

सोमवार, 24 मार्च का दिन छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए ऐतिहासिक रहा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार विधानसभा को संबोधित किया और इस अवसर पर राज्य के विकास, लोकतंत्र और सामाजिक सशक्तिकरण पर महत्वपूर्ण बातें रखीं।


राष्ट्रपति का अभिभाषण: छत्तीसगढ़ का सम्मान और गौरव

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन की शुरुआत छत्तीसगढ़ी अभिवादन “जय जोहार” से की, जिससे पूरे सदन में उल्लास की लहर दौड़ गई। उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा के 25 वर्षों की यात्रा के लिए सभी विधायकों को बधाई दी और कहा कि इस विधानसभा का योगदान लोकतंत्र को मजबूत बनाने में बेहद अहम रहा है।

उन्होंने कहा, “आप सबके बीच आकर विधायक के रूप में मेरी पुरानी यादें ताजा हो गईं। विधायक होना एक सौभाग्य की बात है।” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” कहे जाने का सही अर्थ उन्हें यहां आकर महसूस हुआ।


विधानसभा की अनुशासन और मर्यादा की परंपरा

राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ विधानसभा की अनुशासनप्रियता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि आज तक इस विधानसभा में मार्शल बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी। विधानसभा में वेल में आने पर निलंबन का जो नियम लागू किया गया है, वह भी अनुशासन की मिसाल है।


महिलाओं के लिए विशेष संदेश

राष्ट्रपति ने मीनीमाता के जीवन संघर्ष को याद करते हुए महिलाओं की सशक्त भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “जब महिलाएं सशक्त होंगी, तो समाज भी मजबूत होगा।” उन्होंने इस बात की सराहना की कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने महिलाओं को अंधविश्वास से बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए हैं।


छत्तीसगढ़ की अपार संभावनाएं और लोकसंस्कृति

राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ की विकास संभावनाओं की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह राज्य इंद्रावती, शिवनाथ और महानदी के जल से समृद्ध है और यहां की लोकसंस्कृति पूरे देश में प्रसिद्ध है।

उन्होंने कहा कि “वामपंथी उग्रवाद को रोकने के प्रयास निर्णायक दौर में हैं और जल्द ही यह प्रदेश इस समस्या से पूरी तरह मुक्त होगा।”

राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के गहरे संबंधों का जिक्र करते हुए कहा, “हम रायपुर को ओडिशा का हिस्सा मानते हैं। परिसीमन की सीमाएं होती हैं, लेकिन दिलों के बीच कोई दीवार नहीं होती।” उन्होंने यह भी कहा कि “भगवान जगन्नाथ केवल ओडिशा के नहीं, बल्कि पूरे विश्व के नाथ हैं।”


छत्तीसगढ़ विधानसभा का गौरवशाली इतिहास

राष्ट्रपति के संबोधन के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा, “हम राष्ट्रपति के स्वागत से अभिभूत हैं। उनके अनुभवों से विधानसभा को बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलेगा।”

उन्होंने यह भी बताया कि “यह तीसरा अवसर है जब किसी राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ विधानसभा का दौरा किया है। इससे पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल भी यहां आ चुकी हैं।”

उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा के 25 वर्षों की यात्रा को लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया और कहा कि यहां “मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होते।”


राज्यपाल और मुख्यमंत्री का संबोधन

राज्यपाल रमेन डेका

राज्यपाल ने राष्ट्रपति के स्वागत के बाद एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि “छत्तीसगढ़ विधानसभा के 25 वर्षों को चिह्नित करने के लिए एक विशेष संदर्भ पुस्तक प्रकाशित की गई है।”

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा, “अटल जी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया था और इस वर्ष को ‘अटल निर्माण वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा।”

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि “यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है कि हमारे बीच देश की राष्ट्रपति उपस्थित हैं।”

उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यप्रणाली की तारीफ करते हुए कहा, “हमारे सदन में सार्थक चर्चाएं होती हैं और संसदीय परंपराओं का पालन किया जाता है।”


विपक्ष का स्वागत संदेश

नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राष्ट्रपति को छत्तीसगढ़ आगमन पर बधाई दी। उन्होंने कहा, “ओडिशा और छत्तीसगढ़ का संबंध ऐतिहासिक रूप से गहरा है। महानदी इन दोनों राज्यों को जोड़ती है।”

उन्होंने छत्तीसगढ़ में भगवान राम के महत्व को बताते हुए कहा, “हमारे प्रदेश में भगवान राम को भांजा माना जाता है, और हम अपने भांजे को स्नेह और सम्मान देते हैं।”


समापन संदेश

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण के अंत में कहा कि “छत्तीसगढ़ के लोग बहुत अच्छे हैं, इसीलिए कहा जाता है – ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’।” उन्होंने प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और फिर सदन से विदा ली।


मुख्य बिंदु (Highlights)

✔ राष्ट्रपति का पहला छत्तीसगढ़ विधानसभा दौरा
✔ छत्तीसगढ़ विधानसभा के 25 वर्षों की यात्रा की सराहना
✔ महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष जोर
✔ विधानसभा की अनुशासनप्रियता की तारीफ
✔ वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने का संकल्प
✔ ओडिशा और छत्तीसगढ़ के गहरे सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा
✔ अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि और ‘अटल निर्माण वर्ष’ की घोषणा


निष्कर्ष

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के इस ऐतिहासिक संबोधन ने छत्तीसगढ़ की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि को एक नई पहचान दी। उन्होंने न केवल राज्य की उपलब्धियों को सराहा, बल्कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा भी दी। यह दौरा छत्तीसगढ़ के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बन गया, जो आने वाले वर्षों में भी याद किया जाएगा।

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