बलौदाबाजार में गौ तस्करी के खिलाफ 50 किमी लंबी दंडवत यात्रा

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गौ रक्षा के लिए अनूठा विरोध प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में गौ तस्करी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर 50 किलोमीटर लंबी दंडवत यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में सैकड़ों गौ भक्तों और संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

यात्रा का नेतृत्व उमेश बिसेन और मेघा चौहान ने किया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में नारियल लेकर दंडवत करते हुए अपनी मांगों को उठाया और गौ तस्करी को रोकने के लिए सख्त कानून और कड़ी कार्रवाई की मांग की।


राष्ट्रीय बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद का समर्थन

इस यात्रा को राष्ट्रीय बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद का भी समर्थन मिला। कार्यकर्ताओं ने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर गौ रक्षा के नारे लगाए और प्रशासन से कार्रवाई की अपील की।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि “जिले में बड़े पैमाने पर गौ तस्करी हो रही है, जिससे अवैध व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है।” उन्होंने प्रशासन से गौ तस्करों के खिलाफ गहराई से जांच करने और इस अवैध गतिविधि पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग की।


गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने की मांग

यात्रा में शामिल कार्यकर्ताओं की एक मुख्य मांग यह भी थी कि गाय को ‘राष्ट्र माता’ का दर्जा दिया जाए।

उनका कहना था कि गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। इसलिए सरकार को इसे विशेष संवैधानिक दर्जा देकर संरक्षण देना चाहिए।


मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन

यात्रा के समापन पर प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की अपील की।

उन्होंने प्रशासन को चेतावनी भी दी कि “यदि जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।”


मुख्य बिंदु (Highlights)

✔ गौ तस्करी के खिलाफ 50 किलोमीटर लंबी दंडवत यात्रा निकाली गई।
✔ राष्ट्रीय बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने भी आंदोलन में भाग लिया।
✔ गौ तस्करी पर रोक लगाने और कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।
✔ गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने की अपील की गई।
✔ मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर उचित कार्रवाई की चेतावनी दी गई।


निष्कर्ष

गौ रक्षा के प्रति अपनी आस्था और संकल्प दिखाने के लिए बलौदाबाजार में सैकड़ों लोगों ने अनुकरणीय पहल की। यह आंदोलन न केवल गौ तस्करी के खिलाफ एक सख्त संदेश था, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रयास था।

अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और गौ रक्षा को लेकर सरकार की क्या रणनीति होगी।

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