झाड़ियों में मिली नवजात बच्ची : जन्म के तुरंत बाद फेंका, रोने की आवाज सुनकर बचाई गई

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नवजात बच्ची को झाड़ियों में फेंका गया, स्थानीय लोगों ने बचाया

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। झाड़ियों में एक नवजात बच्ची मिली, जिसे जन्म के तुरंत बाद किसी ने लावारिस हालत में फेंक दिया था। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर स्थानीय लोगों ने उसे बचाया। हालांकि, तब तक चींटियों ने उसे काटकर घायल कर दिया था। फिलहाल, बच्ची को इलाज के लिए बगीचा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों की टीम उसकी देखभाल कर रही है।

घटना का पूरा विवरण

मिली जानकारी के अनुसार, किसी अज्ञात व्यक्ति ने जन्म के तुरंत बाद नवजात बच्ची को झाड़ियों में छोड़ दिया था। स्थानीय लोगों को रोने की आवाज सुनाई दी, तो उन्होंने पास जाकर देखा और बच्ची को झाड़ियों से बाहर निकाला। तब तक बच्ची को चींटियों ने काटकर चोट पहुंचा दी थी। लोगों ने तुरंत उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टर उसकी जांच और इलाज में जुटे हुए हैं।

समाज के लिए एक गंभीर सवाल

यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिर क्यों किसी को अपनी ही संतान को इस तरह छोड़ने की जरूरत पड़ती है? बच्ची को झाड़ियों में छोड़ना न केवल अमानवीय है, बल्कि उसकी जान के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता था।

पुलिस कर रही है जांच

स्थानीय प्रशासन और पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि नवजात को फेंकने के पीछे कौन जिम्मेदार है। पुलिस आसपास के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से जानकारी इकट्ठा कर रही है ताकि पता लगाया जा सके कि हाल ही में किसी महिला ने प्रसव कराया था या नहीं।


अंबिकापुर में भी मिला था नवजात का शव

इस घटना से पहले, अंबिकापुर में भी एक दर्दनाक मामला सामने आया था। वहां एक नवजात शिशु का शव बाल्टी में मिला था। जानकारी के अनुसार, एक महिला ने प्रसव के बाद अपने नवजात को बाल्टी में डालकर छोड़ दिया और फरार हो गई।

यह मामला बौरीपारा स्थित सुभाष कान्वेंट स्कूल के पास किराये के मकान कैंपस में सामने आया। जब स्थानीय लोगों ने नवजात का शव देखा, तो तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव बरामद किया और मामले की जांच शुरू कर दी।

समाज को बदलने की जरूरत

इन घटनाओं से यह साफ जाहिर होता है कि समाज में जागरूकता की बेहद जरूरत है। नवजात बच्चों को इस तरह लावारिस छोड़ देना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह उनकी जिंदगी को खतरे में डालने के बराबर भी है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए समाज को अधिक संवेदनशील बनने की जरूरत है।

सरकार और प्रशासन की भूमिका

सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर इस मुद्दे पर काम करना चाहिए। लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि अगर वे अपने बच्चे का पालन-पोषण नहीं कर सकते, तो इसके लिए कानूनी विकल्प मौजूद हैं। अनाथालय और अन्य संस्थानों की मदद से बच्चों को सुरक्षित भविष्य दिया जा सकता है।

निष्कर्ष

झाड़ियों में नवजात बच्ची मिलने और अंबिकापुर में बाल्टी में नवजात के शव मिलने की घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि समाज में अभी भी ऐसी मानसिकता मौजूद है, जहां लोग अपने ही बच्चों को इस तरह छोड़ने पर मजबूर होते हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे रोकने के लिए समाज, प्रशासन और सरकार को मिलकर काम करना होगा।

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