रायपुर के महादेव घाट में खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिले, प्रशासन ने काम रुकवाया
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के महादेव घाट के पास खुदाई के दौरान 1000 साल पुराने ऐतिहासिक अवशेष मिले हैं। इन अवशेषों में प्राचीन ईंटें, मिट्टी के बर्तन, मटका, सिलबट्टा और एक मूर्ति शामिल हैं। इन अवशेषों को पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है और आगे की जांच शुरू कर दी है।
कैसे मिले ये अवशेष?
महादेव घाट के पास रायपुरा इलाके में डिपरापारा स्थित खल्लारी मंदिर के पास एक जमीन पर प्लॉटिंग का काम चल रहा था।
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इस दौरान खुदाई की गई और निकली मिट्टी से पूरे क्षेत्र का समतलीकरण (लेवलिंग) किया जा रहा था।
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इसी दौरान वहां पुराने बर्तन, ईंटें, सिलबट्टा और अन्य अवशेष मिले।
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पहले तो वहां काम करने वालों ने इन अवशेषों को नजरअंदाज कर दिया और मिट्टी में ही दबाने की कोशिश की।
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लेकिन बाद में प्रशासन और पुरातत्व विभाग को इसकी जानकारी दी गई।
पुरातत्व विभाग ने कलेक्टर को लिखा पत्र
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संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने रायपुर कलेक्टर को एक आधिकारिक पत्र लिखा है।
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इसमें जमीन का रिकॉर्ड मांगा गया है कि यह जमीन सरकारी है या निजी।
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अभी पुरातत्व विभाग द्वारा सभी अवशेषों को कब्जे में लेकर उनकी जांच की जा रही है।
1000 साल से भी पुरानी सभ्यता के संकेत
पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार, महादेव घाट और खारुन नदी के आसपास प्राचीन सभ्यता के अवशेष पहले भी मिल चुके हैं।
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14वीं शताब्दी से ही इस इलाके में लोग रहते आए हैं।
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इतिहास में भी इस स्थान का जिक्र किया गया है, इसलिए संभावना है कि यह अवशेष उसी दौर के हो सकते हैं।
खुदाई का काम बंद, प्रशासन करेगा सर्वे
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पुरातत्व विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि अब इस पूरे क्षेत्र का विस्तृत सर्वे किया जाएगा।
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जब तक सर्वे पूरा नहीं हो जाता, खुदाई और निर्माण कार्य पर रोक रहेगी।
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प्रशासन ने फिलहाल वहां सभी कार्य रुकवा दिए हैं और पूरे इलाके की जांच जारी है।
मुख्य बिंदु:
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रायपुर के महादेव घाट के पास खुदाई में 1000 साल पुराने अवशेष मिले।
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अवशेषों में ईंट, मिट्टी के बर्तन, मटका, सिलबट्टा और एक मूर्ति शामिल।
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पहले अवशेषों को मिट्टी में दबाने की कोशिश की गई, लेकिन बाद में प्रशासन को जानकारी दी गई।
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पुरातत्व विभाग ने कलेक्टर को पत्र लिखकर जमीन का रिकॉर्ड मांगा।
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14वीं शताब्दी की सभ्यता से जुड़े होने की संभावना, खारुन नदी के पास पहले भी मिले हैं अवशेष।
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सर्वे पूरा होने तक खुदाई और निर्माण कार्य बंद रहेगा।
यह खोज छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।