वेंटिलेटर पर पहुंचा भारत का दुश्मन, 26/11 का साजिशकर्ता निशाना बना पाकिस्तान में…!

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लश्कर आतंकवादी साजिद मीर को टेरर फाइनेंसिंग केस में 8 साल की सजा सुनाई गई थी। साथ ही उस पर 4.2 लाख का जुर्माना भी लगाया गया। पाकिस्तान की ओर यह यह ऐक्शन भारी दबाव के बाद ही उठाया गया।

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैएबा के गुर्गों की रहस्यमयी हत्याओं के बीच बड़ी जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल आतंकी और लश्कर कमांडर साजिद को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वह मुंबई में हुए 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। पिछले साल जून में एंटी-टेररिज्म कोर्ट ने मीर को सजा सुनाई थी जिसके बाद से वह कोट लखपत जेल में बंद रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि जेल के भीतर लश्कर कमांडर को जहर दिया गया और उसके बाद से ही वह वेंटिलेटर पर है। 

साजिद मीर को लेकर यह जानकारी ऐसे वक्त सामने आई है जब इस तरह के इनपुट मिल रहे थे कि उसे डेरा गाजी खान जेल भेजे जाने की तैयारी चल रही है। मीर को हॉस्पिटल में एडमिट कराए जाने को लेकर सूत्रों के हवाले से यह बात भी कही जा रही है कि यह विदेशी ताकतों को चमका देने की यह चाल हो सकती है। दरअसल, पाकिस्तान के ऊपर लश्कर कमांडर के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेने का दबाव बढ़ता जा रहा था। 

टेरर फाइनेंसिंग केस में 8 साल की काट रहा सजा
आतंकी मीर को टेरर फाइनेंसिंग केस में 8 साल की सजा सुनाई गई थी। साथ ही उस पर 4.2 लाख का जुर्माना भी लगाया गया। पाकिस्तान की ओर यह यह ऐक्शन भारी दबाव के बाद ही उठाया गया। पाक सरकार के सामने FATF की कार्रवाई से बचने का यही एक रास्ता था। मालूम हो कि एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो आतंक के वित्त पोषण और मनी लांड्रिंग मामलों को ट्रैक करता है। मीर को बीते अप्रैल में हिरासत में लिया गया जबकि जेल की सजा तो उसे जून, 2022 में ही सुना दी गई थी।

जहर देने की बात क्यों हो सकती है एक चाल 
भारतीय खुफिया विभाग के सूत्रों का कहना है कि मीर को जहर देने की बात पाकिस्तान की चाल भी हो सकती है। लश्कर आतंकी को अमेरिका प्रत्यर्पित करने से बचाने का प्रयास हो सकता है। अमेरिकी जांच एजेंसी FBI ने पहले ही साजिद मीर के सिर पर 5 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया हुआ है। अमेरिकी सरकार की वांटेंड लिस्ट में मीर का नाम दर्ज है। पाकिस्तान पहले भी मीर की मौत के दावे कर चुका है। हालांकि, उसकी बात पर न तो भारत और न ही पश्चिमी देशों को यकीन हुआ। जब आतंकी की मौत के सबूत मांगे गए तो पाक आनाकानी करने लगा था। 

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