क्या है राजीव समौदा-निसदा डायवर्सन योजना?
राजीव समौदा-निसदा डायवर्सन योजना (फेस-2) एक बड़ी और महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है, जिसका उद्देश्य महानदी की मुख्य नहर के पानी को दूसरी शाखा नहरों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाना है। इस योजना के पूरा हो जाने पर करीब 28,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। इससे विशेष रूप से बलौदाबाजार और भाटापारा जिले के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
योजना की प्रमुख विशेषताएं:
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इस योजना के तहत 82 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर बनाई जा रही है।
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नहर के माध्यम से महानदी मेन केनाल के जल को भाटापारा ब्रांच केनाल में डायवर्ट किया जाएगा।
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इसका लाभ कुल 120 गांवों को मिलेगा, जिनमें 12 गांव आरंग ब्लॉक के अंतर्गत और 108 गांव बलौदाबाजार जिले में आते हैं।
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यह नहर निसदा (आरंग) से शुरू होकर ग्राम मुंडा (कसडोल) तक जाएगी।
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इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2005 में की गई थी, लेकिन भू-अर्जन (भूमि अधिग्रहण) और वन स्वीकृति की प्रक्रिया में देरी के कारण आज तक पूरी नहीं हो पाई है।
हालिया निरीक्षण की जानकारी:
इस परियोजना के अंतर्गत निर्माण कार्य की समीक्षा और गुणवत्ता जांच का कार्य भी समय-समय पर किया जा रहा है।
शनिवार को, मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) आर. पुराम ने निर्माणाधीन ट्रफ एवं डीआरबी कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने:
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निर्माणाधीन एक्वाडक्ट (जल सेतु) की गुणवत्ता की जांच की।
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जांच के लिए नॉन-डिस्ट्रक्टिव टेस्टिंग उपकरण का उपयोग किया गया, जिससे निर्माण को नुकसान पहुँचाए बिना उसकी गुणवत्ता परखी गई।
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साथ ही प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए सैंपल भी लिए गए, जिन्हें रायपुर की प्रयोगशाला में भेजा जाएगा।
अधिकारियों को दिए गए निर्देश:
निरीक्षण के दौरान आर. पुराम ने यह भी देखा कि कार्य में देरी का एक बड़ा कारण भू-अर्जन और वन विभाग की मंजूरी में रुकावट है। इसलिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि:
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भू-अर्जन और वन स्वीकृति की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाए।
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निर्माण कार्य में अनावश्यक विलंब को रोका जाए।
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सभी आवश्यक प्रशासनिक प्रक्रियाएं समय पर पूरी की जाएं ताकि किसानों को शीघ्र लाभ मिल सके।
किसानों को कैसे मिलेगा लाभ?
इस योजना के पूरी होने से जिन गांवों को पानी मिलेगा, वहां खेती की तस्वीर बदल सकती है। खासतौर पर बलौदाबाजार और भाटापारा जिले के किसानों को अब तक मानसून और बारिश पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन इस योजना के पूर्ण होने के बाद:
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खेतों को साल भर सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी।
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किसान दूसरी फसलों जैसे सब्जी, दलहन, तिलहन आदि की भी खेती कर सकेंगे।
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ग्रामीणों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी।
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कृषि आधारित स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
अब तक क्यों हुई देरी?
इस योजना की शुरुआत तो 2005 में हो गई थी, लेकिन यह इतने सालों में भी पूरी नहीं हो पाई। इसकी प्रमुख वजहें थीं:
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भू-अर्जन प्रक्रिया में रुकावट – जिन ज़मीनों पर निर्माण कार्य होना है, वे ज़मीनें अब तक पूरी तरह से अधिग्रहित नहीं हो पाई थीं।
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वन विभाग से मंजूरी मिलने में देरी – कुछ हिस्से वन क्षेत्र से होकर गुजरते हैं, जिसके लिए विशेष अनुमति जरूरी थी।
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प्रशासनिक प्रक्रिया की जटिलता – बड़ी योजनाओं में कई स्तरों पर फाइलें मंजूरी के लिए जाती हैं, जिससे प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
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वित्तीय प्रबंधन में बाधा – कई बार बजट की स्वीकृति समय पर नहीं मिलती, जिससे काम रुक जाता है।
क्या है अगला कदम?
अब जब निर्माण कार्य फिर से गति पकड़ चुका है और तकनीकी निरीक्षणों का सिलसिला भी चालू है, तो उम्मीद की जा रही है कि:
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जल्द ही भू-अर्जन और वन विभाग की मंजूरी मिल जाएगी।
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मुख्य नहर और उससे जुड़ी अन्य संरचनाएं जैसे ट्रफ, डीआरबी, एक्वाडक्ट आदि समय पर पूरी की जाएंगी।
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आगामी एक से दो वर्षों में परियोजना पूरी होने की संभावना है।
निष्कर्ष:
राजीव समौदा-निसदा डायवर्सन योजना छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एक बड़ी सौगात साबित हो सकती है। यदि यह समय पर पूरी हो जाती है तो इससे हजारों हेक्टेयर भूमि को पानी मिलेगा, किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और क्षेत्र में हरियाली के साथ-साथ खुशहाली भी आएगी।
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